बिहार

बिहारः युवाओं को है केंद्रीय बजट से बड़ी उम्मीद, शिक्षा के लिए विशेष पैकेज का इंतजार

 अगले महीने केंद्रीय बजट पेश होगा. जाहिर है बिहार के लोगों को भी इस बजट से खास उम्मीदें हैं. बिहार के लोगों को शिक्षा के क्षेत्र में केन्द्र सरकार से काफी उम्मीद हैं. उम्मीदें इस बात के लिए केन्द्र की मोदी सरकार बजट में बिहार के लिए कुछ शैक्षणिक संस्थानों की घोषणा करें, ताकि बिहार से लोगों का पलायन रूके. इसके अलावा नए कारखाने खोले जाएं ताकि बेरोजगारी दूर हो सके.

बिहार से भारी संख्या में लोगों का पढ़ाई और रोजगार के लिए पलायन कोई नई बात नहीं है. इसमें कोई शक नहीं कि बिहार में पिछले कुछ सालों में शैक्षणिक संस्थान खोले गए जिससे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पढ़ाई आसान हुई. लेकिन बिहार जैसा बड़ा युवा आबादी वाला राज्य केन्द्र सरकार से काफी कुछ चाहता है. 38 जिलों में फैला बिहार केन्द्र सरकार से ये उम्मीद लगाए बैठा है कि मोदी सरकार पटना के साथ ही सीमांचल और मिथिलांचल इलाके में नए शैक्षणिक संस्थान की स्थापना का ऐलान करे. ताकि यहां का शैक्षणिक पिछड़ापन दूर हो सके.

दरअसल, बिहार की आबादी 11 करोड़ से ज्यादा है और इस आबादी में यहां के युवा की संख्या अच्छी खासी है. बिहार के हर शहरों से लोग पढ़ाई और रोजगार के लिए देश के दूसरे हिस्सों में जाते हैं. वजह उच्च शिक्षण संस्थानों की कमी. हालांकि हाल के कुछ वर्षों में मैनेजमेंट के क्षेत्र में चंद्रगुप्त इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी, आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नॉलिजी की स्थापना हुई है.

कुछ और प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है, लेकिन ये काफी नहीं है. दूसरी ओर पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग भी उठ रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब साल 2017 में पटना यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे थे उस वक्त भी ये मांग उठी थी.

पटना के तमाम शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ने वाले युवाओं का मानना है कि आधारभूत ढ़ाचा काफी कमजोर है. कुछ काम जरूर हुए हैं, लेकिन इससे बात नहीं बनेगी. नए उद्योग और कारखाने लगाए जाएं ताकि पलायन रूक सके. भारत सरकार केंद्रीय बजट का 10वां हिस्सा शैक्षणिक क्षेत्र के लिए आवंटित करे ताकि शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो और बिहार के लिए विशेष रूप से पैकेज की घोषणा हो.

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