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अब दिल्ली में करें ताजमहल का दीदार, एफिल टावर सहित सातों अजूबे दिखेंगे यहां

जिस कबाड़ से आप परेशान रहते हैं अब उसी के साथ आप सेल्फी लेने को मजबूर होंगे। जी हां हम बात कर रहे हैं हजरत निजामुद्दीन मेट्रो स्टेशन के नजदीक दक्षिणी दिल्ली नगर निगम द्वारा तैयार किए गए सेवन वंडर (सात अजूबों) की। विश्व के सात अजूबे की कलाकृति मिलेनियम पार्क में तैयार की गई हैं। इसमें निगम के स्टोर रूम में रखे कबाड़ में पड़ी चीजों जैसे स्ट्रीट लाइट के खंभे, नट- बोल्ट, टीन आदि से तैयार किया गया है।

दक्षिणी निगम के आयुक्त डॉ. पुनीत कुमार गोयल ने कहा कि यह पार्क दिल्ली के बेहतरीन पर्यटन स्थलों में शुमार होगा। इसमें अधिकतम सौ रुपये प्रति व्यक्ति प्रवेश शुल्क लगाया जा सकता है।

कबाड़ से 11.5 करोड़ रुपये का फायदा

पहले इस परियोजना को 19 करोड़ रुपये की लागत से ईंट पत्थरों की मदद से पूरा करने की योजना थी, लेकिन निगम ने कबाड़ का सदुपयोग किया। इससे निगम को 11.5 करोड़ की बचत हुई है। इसमें महज 7.5 करोड़ की ही लागत आई है। यह फरवरी के पहले सप्ताह में जनता को समर्पित किया जा सकता है। निगम की कोशिश है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों का इसका उद्घाटन कराया जाए।

70 फुट का एफिल टॉवर

निगम के मुताबिक प्रत्येक अजूबे के ऊंचाई 20 से 25 फुट हैं, वहीं एफिल टॉवर की ऊंचाई 70 फुट हैं। यहां पर दर्शकों की सुविधा के फूड स्टॉल खोलने की भी योजना हैं। इसे देखने में 30 मिनट का समय लगेगा।

स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (न्यूयार्क)

निर्माण सामग्री :रेहड़ी की कमानी, बाइक की चेन, ऑटोमोबाइल पार्ट जैसे गियर, चेन, गाड़ी की रिम की प्लेट, एंगल आदि।

वास्तविकता

तांबे की यह मूर्ति 151 फीट लंबी है। 22 मंजिला इस मूर्ति के ताज तक पहुंचने के लिए 354 घुमावदार सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।

ताज महल (भारत)

निर्माण सामग्री : पाइप, एंगल, नट बोल्ट, 1600 साईकिल रिंग, मेटल शीट, स्प्रिंग, ऑटोमोबाइल पार्ट, बिजली का खंभा, खाना बनाने की कढ़ाई, पार्क की बेंच।

वास्तविकता

ताजमहल मुग़ल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। इसका निर्माण सन् 1648 के लगभग पूर्ण हुआ था। उस्ताद अहमद लाहौरी को प्राय: इसका प्रधान रूपांकनकर्ता माना जाता है।

गीजा का पिरामिड (मिस्र)

निर्माण सामग्री : एंगल 20,000 फीट, बिजली के खंभे।

वास्तविकता

यह पिरामिड 450 फुट ऊंचा है। इसका आधार 13 एकड़ में फैला है जो करीब 16 फुटबॉल मैदानों जितना है। यह 25 लाख चूना पत्थरों के खंडों से निर्मित है, जिनमें से हर एक का वजन 2 से 30 टनों के बीच है।

लीनिंग टावर ऑफ पीसा (इटली)

निर्माण सामग्री : साईकिल के रिंग, ऑटोमोबाइल पार्ट, मेटल शीट, इलेक्ट्रिक केबल रोल।

वास्तविकता

यह वास्तुशिल्प का अदभुत नमूना माना जाता है। अपने निर्माण के बाद से ही मीनार लगातार नीचे की ओर झुकती रही है। इसकी ऊंचाई 183.3 फीट है। निर्माण में काले संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है।

निर्माण सामग्री : कार की रिम, बच्चों के झूलों के पाइप, झूलों का स्लाइडर, साईकिल के रिम, ऑटोमोबाइल पार्ट, ट्रक की मेटल शीट, बिजली के खंभे।

वास्तविकता

यह रोमन साम्राज्य का सबसे विशाल एलिप्टिकल एम्फीथियेटर है। इसका निर्माण तत्कालीन शासक वेस्पियन ने 70 – 72 ईस्वी के मध्य प्रारंभ किया और 80 ईस्वी में सम्राट टाइटस ने इसे पूरा किया।

एफिल टॉवर (पेरिस, फ्रांस)

निर्माण सामग्री : एंगल, डीज़ल टैंक, पहिये के नट-बोल्ट, साइकिलों के रिम, पार्क में लगी रेलिंग, पार्क के गेट के सरिये।

वास्तविकता: इसका निर्माण 1887-1889 में शैम्प-दे-मार्स में सीन नदी के तट पर पेरिस में हुआ था। इसकी ऊंचाई 300 मीटर है।

क्राइस्ट दी रिडीमर (ब्राज़ील)

निर्माण सामग्री : ट्रक की मेटल शीट, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, रेहड़ी की कमानी, स्प्रिंग, रिक्शा और बाइक की चेन, गार्डन की बेंच।

वास्तविकता

क्राइस्ट द रिडीमर को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आर्ट डेको स्टैच्यू माना जाता है। यह प्रतिमा 9.5 मीटर आधार सहित 39.6 मीटर लंबी और 30 मीटर चौड़ी है।

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