‘न्यूनतम आय गारंटी’ की घोषणा का अंतरिम बजट से संबंध नहीं : चिदंबरम
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने वादा किया है कि अगर लोकसभा चुनाव के बाद उनकी पार्टी सत्ता में आएगी, तो गरीबों के लिए न्यूनतम आय गारंटी योजना को लागू किया जाएगा। इस मुद्दे पर हमारे सहयोगी अखबार ‘हिन्दुस्तान टाइम्स के पत्रकार औरंगजेब नक्शबंदी और रोशन किशोर ने कांग्रेस की घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष और पूर्व वित्तमंत्री पी.चिदंबरम से बात की। पेश है इस बातचीत के मुख्य अंश।
प्रश्न : राहुल गांधी की ओर से न्यूनतम आय गांरटी योजना की घोषणा का समय रोचक है। क्या पार्टी इसी तरह की चीजें आगामी बजट में होने की उम्मीद कर रही है ?
उत्तर : हमारी घोषणा का अंतरिम बजट से कोई संबंध नहीं है। तथ्य यह है कि हम अंतरिम बजट से कुछ भी उम्मीद नहीं कर रहे हैं। अगर सरकार परंपरा को तोड़ते हुए अंतरिम बजट में बड़ी घोषणा करती है, तो यह पूरी तरह से असंवैधानिक होगा। भाजपा के अपने सदस्य यशवंत सिन्हा ने खुद इसे इंगित किया है। इसलिए कृपया कर कांग्रेस अध्यक्ष की घोषणा को आगामी अंतरिम बजट से नहीं जोड़ें। हम घोषणापत्र तैयार करने की प्रक्रिया में है। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष ने एक विचार दिया है और उसे घोषणापत्र में जगह मिलेगी।
प्रश्न : क्या पार्टी न्यूनतम आय गारंटी योजना की लागत व भुगतान को लेकर किसी आंकड़े पर पहुंची है ?
उत्तर : बिल्कुल नहीं। हमारे पास व्यापक विचार है। हम पहले नहीं हैं जो न्यूनतम आय गारंटी योजना पर चर्चा कर रहे हैं। एक पूरी संस्था ने सार्वभौमिक न्यूनतम आय (यूबीआई)और इसकी लागत पर काम किया है। कई भारतीय और अन्य अर्थशास्त्रियों ने इसके बारे में लिखा है। अरविंद सुब्रमण्यन उनमें से एक हैं। हमने सभी सामग्री को देखा है और अब समय आ गया है कि अगली सरकार इसे लागू करे।
प्रश्न : क्या न्यूनतम आय गांरटी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना (मनरेगा) की तरह होगी, जहां केंद्र 90 फीसदी कोष देता है या फिर राज्य बराबर-बराबर खर्च वहन करेंगे ?
उत्तर : हम सरकार में नहीं है कि राज्यों से चर्चा करें। जब हम सरकार बनाएंगे, तभी इन मुद्दों पर राज्यों से चर्चा करेंगे।
प्रश्न : यह पहली योजना होगी जहां शहरी लाभार्थियों को ग्रामीण लाभार्थियों से अधिक पैसा मिलेगा, क्योंकि शहरी गरीबी रेखा का मानक ग्रामीण गरीबी रेखा से अधिक है।
उत्तर : हम नहीं जानते कि कितने लोग दायरे में आएंगे। पार्टी की सरकार बनने के बाद ही सभी आंकड़ों तक पहुंच संभव होगी। मुख्य सांख्यिकीविद ने कुछ दिन पहले ही कहा कि गरीबी संबंधी नए आंकड़ों को जून 2019 में प्रकाशित किया जाएगा। इससे राज्य सरकारों से विमर्श करने में मदद मिलेगी, क्योंकि उनके पास ग्रामीण और शहरी इलाकों में रहने वालों की अधिक जानकारी है। इसके बाद योजना को गरीबों की जरूरत के अनुरूप डिजाइन किया जाएगा। मौजूदा चरण में यह विचार है जिसकी रूपरेखा का खुलासा कांग्रेस के घोषणापत्र में किया जाएगा।
प्रश्न : मनरेगा की तरह न्यूनतम गांरटी योजना भी ‘प्रो साइक्लिकल’ (अर्थव्यवस्था की गति के अनुरूप) हो सकती है, जहां ग्रामीण अर्थव्यवस्था में गिरावट आने के साथ काम की मांग बढ़ जाती है।
उत्तर : गरीबी के आंकड़े दैनिक आधार पर नहीं आते। इसलिए सरकार न्यूनतम आय गारंटी योजना के तहत भुगतान करने को प्रतिबद्ध है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि राज्य की आर्थिक स्थिति क्या है। जबकि मनरेगा का उद्देश्य बहुत अलग है। यह सुनिश्चित करने के लिए है कि अगर किसी व्यक्ति के पास किसी दिन या सप्ताह कोई काम नहीं हो तो भी न्यूनतम आय हो ताकि उस दिन उसकी थाली में खाना हो। न्यूनतम आय गांरटी योजना का उद्देश्य अलग है। 2004 से 2014 के बीच हमनें 14 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला। हम लक्ष्य तक पहुंचने के करीब हैं। इस योजना का मकदस गरीबी को खत्म करना है।
प्रश्न : क्या कांग्रेस के घोषणापत्र में किसानों की कर्ज माफी का भी वादा होगा ?
उत्तर : कृषि ऋण राज्य विशेष और संदर्भ आधारित है
प्रश्न : इस बात की आलोचना हो रही है कि राज्यों की नव निर्वाचित कांग्रेस सरकारों ने किसानों की कर्ज माफी योजना को अब तक पूरी तरह से लागू नहीं किया
उत्तर : सरकार के गठन को अभी केवल तीन हफ्ते हुए हैं। आप क्यों कुछ भी जल्दबाजी में और गलत करें? ऐसा कोई मामला नहीं था कि सरकार गठन के 24 घंटे के भीतर सरकार किसानों को दे दिया जाएगा।