देहरादून में बेटी ने शहीद पिता को दी सलामी, CM त्रिवेंद्र रावत ने भी दी श्रद्धांजलि
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को हुए आतंकी हमले में शहीद हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के 40 जवानों को आज अंतिम विदाई दी जाएगी. सभी के पार्थिव शरीर शुक्रवार को दिल्ली लाए गए थे. यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य मंत्रियों और नेताओं ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की थी. इसके बाद शहीदों के शव उनके घर भेजे जा रहे हैं. पीएम मोदी ने बीजेपी के सभी मंत्रियों और सांसदों को निर्देश दिया है कि वह अपने-अपने राज्यों में इन जवानों के अंतिम संस्कार के समय वहां पर मौजूद रहें.
पुलवामा हमले में शहीद होने वाले जवानों में से सर्वाधिक जवान उत्तर प्रदेश के हैं. इनकी संख्या 12 है. यूपी के आगरा, शामली, उन्नाव, चंदौली के रहने वाले शहीद जवानों के पार्थिव शरीर उनके घर पहुंच चुके हैं. देहरादून में शहीद जवान मोहन लाल का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा. इस पर उनकी बेटी ने दी पिता को सलामी दी
साथ ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की.
वाराणसी के रहने वाले सीआरपीएफ के शहीद जवान रमेश यादव का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंच गया है. मैनपुरी के रहने वाले शहीद सीआरपीएफ जवान रामवकील का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंच गया है. यहां बड़ी संख्या में लोग श्रद्धांजलि देने पहुंचे हैं.
देहरादून के भी शहीद जवान का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंच गया है. राजस्थान के जयपुर के रहने वाले शहीद सीआरपीएफ जवान रोहिताश लांबा का पार्थिव शरीर भी उनके घर पहुंचा है. वहीं राजस्थान के 5 जवान, पंजाब के 4 जवान, ओडिशा के 2 जवान, महाराष्ट्र के 2 जवान, उत्तराखंड के 2 जवान और बिहार के 2 भी शहीद हुए हैं. इनके अलावा अन्य राज्यों के जवान भी इसमें शामिल हैं.
आईडी से हुई शहीद जवानों की पहचान
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को हुए आतंकवादी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के सभी 40 जवानों की पहचान उनके आधार कार्ड, आईडी कार्ड तथा कुछ अन्य सामानों के जरिए ही हो पाई. अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि भीषण विस्फोट से जवानों से शव बुरी तरह से क्षत-विक्षत हो गए थे, इसलिए उनकी शिनाख्त करना मुश्किल काम था. इन शहीदों की पहचान आधार कार्ड, बल के आईडी कार्ड, पैन कार्ड अथवा उनकी जेबों या बैगों में रखे छुट्टी के आवेदनों से की जा सकी. वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि कुछ शवों की शिनाख्त कलाइयों में बंधी घड़ियों अथवा उनके पर्स से हुई. ये सामान उनके सहयोगी ने पहचाने थे.