मध्य प्रदेश में ‘इतिहास’ को लेकर छिड़ी बीजेपी और कांग्रेस जंग
मध्य प्रदेश मे आयोजित होने जा रहे ‘इंडियन हिस्ट्री’ प्रोग्राम के आयोजन को लेकर प्रदेश की कांग्रेस और बीजेपी में खासा तनातनी हो गई है. मध्य प्रदेश में अचानक से प्लान हुए इस कार्यक्रम को लेकर बीजेपी और कांग्रेस ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू कर दिया है, जिसमें एक तरफ बीजेपी विधायक मोहन यादव आरोप लगाते हैं कि कांग्रेस और वामपंथी सोच में इतिहास को अपने हिसाब से पेश किया है. इससे भारत का गौरवशाली इतिहास संपूर्ण स्वरूप में सामने नहीं आ पाया है. उन्होंने कहा बीजेपी पर इतिहास से छेड़छाड़ का आरोप लगाना गलत है, यह पुणे यूनिवर्सिटी का व्यक्तिगत मामला है आर्थिक तंगी की वजह से आयोजन नहीं हो सका. भारत सरकार के संयोजन को करें कोई आपत्ति नहीं इतिहास से छेड़छाड़ ना की जाए.
पुणे में दुकानदार ने पाकिस्तानी झंडे जलाने के लिए मुफ्त में दिए लाइटर
मध्य प्रदेश कांग्रेस के महासचिव मृणाल पंत कहते हैं बीजेपी को डर लगता है कि यदि इतिहास सही स्वरूप में सामने आ जाएगा तो उसकी हकीकत खुल जाएगी. क्योंकि आजादी से पहले संग तत्कालीन हिंदू महासभा जैसे संगठनों का आजादी में कोई योगदान नहीं रहा, उन्होंने अंग्रेजों का साथ ही दिया है. बता दें साल भर तक तैयारियां करने के बाद सावित्री बाई फुले यनिवर्सिटी ने आयोजन कर्ताओं को बताया गया कि वित्तीय कारणों से इस आयोजन को नहीं कर पाएंगे. बता दें 82 साल के इतिहास में केवल 3 बार ही इसके आयोजन को रद्द किया गया था. पहली बार भारत छोड़ो आंदोलन के वक्त 1942 में, दूसरी बात 1962 और तीसरी बार 1971 में युद्ध के वक्त का आयोजन रद्द हुआ था. इस बार आर्थिक तंगी इसकी वजह बन गई, लेकिन इतिहासकारों और राजनीतिक गलियारों में बीजेपी शिवसेना गठबंधन सरकार पर आरोप लगे, लेकिन मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार ने इसके आयोजन की मेजबानी को हरी झंडी दी है.
वहीं आयोजन कर्ताओं ने कहा कि इसका पूरा खर्च आयोजन में आने वाले लोग ही उठाते हैं. केवल मेजबान को ही थोड़ा बहुत खर्च करना होता है. ऐसे में पुणे की सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी का इंकार कई सवाल खड़े करता है. मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क मंत्री पी सी शर्मा कहते हैं कि बीजेपी की फितरत है इतिहास को तोड़ मरोड़ कर अपने हिसाब से पेश करना. इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस में इतिहास को साइंटिफिक तरीके से व्याख्या की जाती है बीजेपी को डर लगता है कि इससे उसके द्वारा समझाया गया इतिहास खारिज हो जाएगा.
पुणे के उद्यान में गैरकानूनी तरीके से लगाई गई संभाजी की प्रतिमा, पुलिस ने बाद में हटाई
26 फरवरी से शुरू होने वाले इस तीन दिनी आयोजन में देश-विदेश के इतिहासकार भोपाल पहुंचेंगे. बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी और मध्य प्रदेश सरकार इस आयोजन की मेजबानी करेंगे. देश विदेश के डेढ़ हजार से दो हजार इतिहासकार इस कार्यक्रम में शामिल होंगे और मॉडर्न हिस्ट्री की साइंटिफिक तरीके से व्याख्या करेंगे. इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस में कई रिसर्च पेपर भी प्रस्तुत किए जाएंगे. मध्य प्रदेश और भारत के इतिहास के संबंध में चर्चा होगी. चाचा केवल उन्हीं मुद्दों पर होगी जो विषय इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस में रिसर्च स्कॉलर्स और इतिहासवेत्ता रखेंगे. बदले हुए राजनीतिक दौर में उबरती हुई कांग्रेस और सत्तासीन बीजेपी के कालखंड में भारत के इतिहासकारों के लिए यह आयोजन काफी मायने रखता है.