संघ प्रमुख मोहन भागवत के मालवा दौरे पर टिकीं सियासी विश्लेषकों की निगाहें
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत मंगलवार को सुबह यहां पहुंचे. पश्चिमी मध्यप्रदेश के मालवा अंचल में अपने तीन दिवसीय प्रवास के दौरान वह संघ की आंतरिक बैठकों में हिस्सा लेकर संगठन के स्वयंसेवकों से संवाद करेंगे. प्रदेश में गत नवंबर में संपन्न विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार और अप्रैल-मई में प्रस्तावित लोकसभा चुनावों की उल्टी गिनती शुरू होने के मद्देनजर संघ प्रमुख के दौरे पर सियासी विश्लेषकों की निगाहें भी टिकी हैं. हालांकि, संघ के सूत्रों का कहना है कि भागवत “पहले से तय नियमित कार्यक्रम” के तहत मालवा क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे हैं.
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उन्होंने बताया कि भागवत अपने इस तीन दिवसीय प्रवास के दौरान संघ परिवार के विभिन्न संगठनों के क्षेत्रीय पदाधिकारियों और स्वयंसेवकों को मार्गदर्शन देंगे. वह संघ के गठनायकों (मोहल्ला स्तर पर कार्य करने वाले कार्यकर्ता) से भी संवाद करेंगे. सूत्रों ने भागवत के कार्यक्रमों का विस्तृत ब्योरा दिये बगैर बताया कि ये संघ के नितांत आंतरिक आयोजन हैं और इनमें संगठन के संबंधित पदाधिकारी तथा स्वयंसेवक ही हिस्सा ले सकेंगे.
उन्होंने बताया कि भागवत के कार्यक्रमों में भाग लेने वाले अधिकतर स्वयंसेवक सूबे के मालवा अंचल (इंदौर और उज्जैन संभाग) के होंगे. यह इलाका संघ का मजबूत गढ़ माना जाता है. गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा की पकड़ इस क्षेत्र में ढीली हुई, जबकि कांग्रेस की सीटों में इजाफा हुआ था. भागवत अपने मालवा प्रवास के दौरान किन विषयों पर स्वयंसेवकों से संवाद करेंगे, इसकी जानकारी हालांकि मीडिया से साझा नहीं की गयी है.
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लेकिन वह ऐसे वक्त स्वयंसेवकों के बीच पहुंचे हैं, जब जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के काफिले पर हालिया आतंकी हमले से देशवासी आक्रोशित हैं. इसके साथ ही, इस सरहदी सूबे को खास दर्जा और इसके स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 और 35-ए पर बहस तेज हो गयी है. अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण शुरू करने की मांग भी धार्मिक और सियासी हलकों में तूल पकड़ रही है.