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नालंदा सीट पर 2 दशक से है नीतीश कुमार की पार्टी का दबदबा

2014 के लोकसभा चुनाव से पहले जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से अपना नाता तोड़ लिया था. जेडीयू ने यह चुनाव अकेले दम पर लड़ा था. इसका खामियाजा भी उठाना पड़ा. 40 में से सिर्फ दो लोकसभा सीटों पर जेडीयू का खाता खुला था. उनमें से एक नालंदा भी है. इस चुनाव में यहां से कौशलेंद्र कुमार लगभग नौ हजार मतों से चुनाव जीते थे. उन्होंने अपने निकटम प्रतिद्वंदी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के सत्यानंद शर्मा को हराया था.

19 लाख 51 हजार 967 मतदाताओं वाले लोकसभा सीट पर 2014 के चुनाव में नौ लाख 21 हजार 761 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. इस सीट पर कुल 22 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे थे. इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी से आशीष रंजन सिंह चुनाव लड़ रहे थे. उनके खाते में कुल एक लाख 27 हजार 270 मत पड़े थे. वहीं, कौशलेंद्र कुमार तीन लाख 21 हजार 982 मतों से विजयी घोषित हुए थे. लोजपा के सत्यानंद शर्मा तीन लाख 12 हजार 355 मतों के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे.

नालंद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह क्षेत्र है. इस सीट पर 1996 से उनकी पार्टी का कब्जा बरकरार है. पहले समता पार्टी और बाद में जेडीयू के उम्मीदवार चुनाव जीतते आ रहे हैं. देश के पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस इस सीट से लगातार तीन बार चुनाव जीते. वह 1996, 1998 और 2004 के चुनाव में सांसद बने थे. 2004 में इस सीट से नीतीश कुमार चुनाव लड़े और जीतने में सफल रहे थे.

2005 में बिहार में एनडीए की सरकार बनी और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने. इसके बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था. इसके बाद 2006 में हुए उपचुनाव में भी जेडीयू ने ही यहां विजय पताका लहराया था. रामस्वरूप प्रसाद सांसद बने थे. इसके बाद 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में लगातार दो बार कौशलेंद्र कुमार चुनाव लड़े और सांसद बने. इस सीट पर आरजेडी को अभी तक जीत नसीब नहीं हो सकी है.

वहीं, शुरुआती दौर की बात करें तो इस सीट पर 1952 से 1971 के बीच हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का कब्जा था. इमरजेंसी के बाद 1976 में हुए चुनाव में भारतीय लोक दल ने चुनाव जीता था. इस सीट पर तीन बार कॉम्यूनिस्ट पार्टीका कब्जा भी रहा है. विजय कुमार नालंदा से तीन बार सांसद रह चुके हैं.

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