सियासी मौसम के साथ बदलता रहा हरिद्वार सीट का मिजाज
धर्मनगरी हरिद्वार की संसदीय सीट देवभूमि उत्तराखंड की हाट सीट में एक मानी जाती है। सियासी करवट बदलने का मिजाज रखने वाले यह सीट गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जानी जाती है। आश्रम नगरी ऋषिकेश, गंगा तीर्थ हरकी पैड़ी, शक्तिपीठ मां मंसा देवी, चंडी देवी, कलियर शरीफ दरगाह, पंतजलि योगपीठ, गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के साथ ही हर मठों-आश्रमों के लिए हरिद्वार की देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया में भी अलग पहचान है।
हरिद्वार संसदीय सीट 1977 में अस्तित्व में आई। इस सीट पर अब तक हुए 12 लोकसभा आम चुनाव और एक बार उपचुनाव हुआ है। यहां कांग्रेस-भाजपा में टक्कर रही है। दोनों दलों के पास पांच-पांच बार यह सीट रही।
दो बार राष्ट्रीय लोकदल और एक बार समाजवादी पार्टी ने भी इस सीट पर जीत हासिल की है। हरिद्वार सीट पर शुरू के वर्षों में जाट नेता पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का यहां प्रभाव रहा।
1984 के बाद हरिद्वार संसदीय क्षेत्र कांग्रेस के गढ़ बन गई, जबकि इसके बाद भाजपा इस सीट पर सबसे ताकतवर पार्टी बनकर उभरी। 1991, 1996, 1998 और 1999 में लगातार चार लोकसभा चुनाव में भाजपा ने परचम लहराया।
उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने यह सीट कब्जे में की। 2009 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की, जबकि वर्तमान में भाजपा के पास यह सीट है।
संसदीय सीट की सियासी शक्ल
उत्तराखंड राज्य गठन के बाद हरिद्वार सीट में जिले के नौ विधानसभा क्षेत्र शामिल थे। 2004 और 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट के अंतर्गत हरिद्वार शहर, बहदराबाद, लालढांग, भगवानपुर, लक्सर, मंगलौर, लंढौरा, रुड़की व इकबालपुर विधानसभा क्षेत्र शामिल थे। 2011 में हुए नए परिसीमन में हरिद्वार की बहदराबाद, लालढांग, लंढौरा और इकबालपुर सीटों का अस्तित्व समाप्त हो गया।
इनके स्थान पर भेल-रानीपुर, हरिद्वार ग्रामीण, खानपुर, पिरान कलियर, झबरेड़ा और च्वालापुर नाम से छह नई विधान सभा वजूद में आईं। अब 14 विधानसभा क्षेत्रों वाली हरिद्वार संसदीय सीट में जिले की 11 और देहरादून की तीन ऋषिकेश, डोईवाला व धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र हैं।
हर वर्ग व समाज का गुलदस्ता
हरिद्वार में भगवे व हरे रंग के साथ ही माटी की खुशबू भी सियासी सियासी रंगत को बनाती-बिगाड़ती रही है। किसानों की मजबूत आवाज है तो हर-हर गंगे के जयकारे के साथ अजान की मिठास भी है। मेहनतकश श्रमिक वर्ग भी सियासत को मुठ्ठी में करने की कोशिश में हैं। एक तरह से हरिद्वार सीट को हर धर्म-जाति, समुदाय व वर्ग का गुलदस्ता माना जा सकता है।
विधानसभा सीटों पर राजनीतिक दलों की स्थिति
हरिद्वार संसदीय सीट में देहरादून की तीन विधानसभा समेत 14 विधानसभा क्षेत्र हैं। भाजपा 11 विधानसभा सीटों पर काबिज है, जबकि तीन विधानसभा सीटों पर कांग्रेेस का कब्जा है। इस संसदीय सीट पर भाजपा और कांग्र्रेस के अलावा बसपा व सपा की भी ठीक पकड़ रही है। 2017 में बसपा का कोई विधायक नहीं जीत पाया, लेकिन इससे पहले के तीन विधानसभा चुनाव में बसपा की चुनौती मजबूत रही है।