जवान बेटों की अर्थी को पिता ने दिया कंधा, शव देख लिपट पड़ी 10 साल की मासूम
रविवार रात तक उन घरों में खुशियां थीं। सोमवार की भोर आई मनहूस खबर ने यकायक सब कुछ तहस-नहस कर दिया। खुशियां असहनीय दर्द में और दर्द चीखों में बदल गया। दो दिन पहले तक जिनसे घर रोशन था, वहां मंगलवार शाम खामोश आंसुओं के बीच बस सन्नाटा पसरा था। यमुना एक्सप्रेस वे पर आगरा में जनरथ बस हादसे का शिकार हुए लखनऊ के 13 लोगों का मंगलवार को अंतिम संस्कार किया गया तो हर आंख नम थी।
आगरा बस हादसे में लखनऊ के 13 लोगों की मौत हुई है। आठ घरों में बुजुर्ग पिताओं के कंधे पर जवान बेटों की अर्थी उठी। तो पूरा इलाका रो पड़ा। आंखों में आंसू के साथ ही परिवार की जिम्मेदारी दिख रही थी। हादसे में मृतकों के घर सुबह से प्रदेश सरकार के मंत्री व विधायकों का आना-जाना लगा रहा। लोग परिवारीजनों को ढांढस बंधाते रहे।
बुजुर्ग पिता ने दी जवान बेटे को मुखाग्नि
इंदिरानगर सेक्टर-11 निवासी आकाश श्रीवास्तव के पिता सतीश चंद्र श्रीवास्तव एचएएल से रिटायर्ड है। सोमवार को हादसे की खबर पहुंची तो पूरे घर मंंे कोहराम मच गया। देर रात आकाश का शव घर पहुंचा। बेटे का शव देख पिता और मां बदहवास हो गए। मंगलवार सुबह रिश्तेदारों व परिचितों के साथ बुजुर्ग पिता सतीश चंद्र ने अपने जवान बेटे की अर्थी को कंधा दिया। बैकुंठधाम में मुखाग्नि दी।
अविनाश का शव देख परिवार बदहवास
मड़ियांव के केशवनगर-2 निवासी अंशुमान अवस्थी के बेटे अविनाश अवस्थी का पार्थिव शरीर सोमवार देर रात घर पहुंचा। मंगलवार सुबह बैकुंठ धाम में अविनाश का अंतिम संस्कार किया गया। पिता अंशुमान ने जवान बेटे को मुखाग्नि दी। वहीं घर पर मां व बहन का बुरा हाल था। मां बेहोश हो गई। वकीलों ने सेंट्रल बार एसोसिएशन में शोक सभा की। अंतिम संस्कार में राजधानी के वरिष्ठ अधिवक्ता व विधायक, मंत्री शामिल हुए।
देर रात पढ़ी गई इख्तकाब के जनाजे की नमाज
उधर इंदिरानगर के गायत्री मार्केट स्थित सेक्टर 11 में आफताब अहमद के बेटे इख्तकाब का शव देर रात घर पहुंचा। देर रात को जनाजे की नमाज पढ़ी गई। इसके बाद पास केकब्रिस्तान में दफन किया गया। पिता का शव देखते ही 10 साल की मासूम बेटी इश्मत लिपट कर रोने लगी। तो वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गईं। उधर गौसनगर में रहने वाली अरीबा खान को देर रात को ही सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया।
बेटे का शव हल्द्वानी ले गए
गोमतीनगर विस्तार सुलभ योजना में रहने वाले प्रेमप्रकाश पांडेय अपने बेटे धीरज का शव लेकर पैतृक गांव हल्द्वानी चले गए। वहीं अंतिम संस्कार किया गया।