कर्नाटक संकटः स्पीकर का फैसला 16 जुलाई के बाद, विधायकों को रिसॉर्ट भेजने की तैयारी
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष के आर रमेश कुमार से कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन के 10 बागी विधायकों के इस्तीफों और उनकी अयोग्यता के मसले पर अगले मंगलवार तक कोई भी निर्णय नहीं लिया जाये। वहीं मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने शुक्रवार को चौंकाने वाले घटनाक्रम में कहा कि वह सदन में विश्वास मत हासिल करना चाहेंगे।
फिर शुरू हुई रिसॉर्ट पॉलिटिक्स
इधर कर्नाटक में राजनीतिक अस्थिरता का दौर लंबा खिंचता देख भाजपा सूत्रों ने कहा कि पार्टी ने अपने विधायकों को बेंगलुरु के पास एक रिसॉर्ट में ठहराने का फैसला किया है क्योंकि कुमारस्वामी की घोषणा के बाद उसे अपने विधायकों की ‘खरीद-फरोख्त का अंदेशा है। जद(एस) विधायकों को भी बेंगलुरु के पास एक रिसॉर्ट में ठहराया गया है।
विधानसभा अध्यक्ष ने कोर्ट से मांगा समय
न्यायालय ने कल विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दिया था कि वह ”तत्काल कांग्रेस और जद(एस) के 10 बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लें लेकिन अध्यक्ष के आर रमेश कुमार ने बाद में कहा कि फैसले के लिये और वक्त की जरूरत है। कांग्रेस ने भी अपने बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता प्रक्रिया शुरू की है। कुल मिलाकर कांग्रेस और जद(एस) के 16 विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा दिया है।
भाजपा ने छुआ 107 का आंकड़ा
अध्यक्ष के अलावा, सत्ताधारी गठबंधन की कुल क्षमता 116 (कांग्रेस के 78, जद(एस) के 37 और बसपा का एक) है। वहीं 224 सदस्यीय विधानसभा में दो निर्दलीयों के समर्थन से भाजपा का आंकड़ा 107 तक पहुंच गया है। जबकि 224 सदस्यीय सदन में बहुमत के लिये जरूरी आंकड़ा 113 है। निर्दलीय विधायकों ने सोमवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। अध्यक्ष अगर 16 बागी विधायकों का इस्तीफा मंजूर करते हैं तो गठबंधन के विधायकों की संख्या घटकर 100 हो जाएगी।
न्यायालय सख्त
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ ने सुनवाई के दौरान ”महत्वपूर्ण मुद्दे उठने का जिक्र करते हुये कहा कि वह इस मामले में 16 जुलाई को आगे विचार करेगी और शुक्रवार की स्थिति के अनुसार तब तक यथास्थिति बनाये रखी जानी चाहिए। पीठ ने अपने आदेश में विशेष रूप से इस बात का उल्लेख किया कि कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार इन बागी विधायकों के त्यागपत्र और अयोग्यता के मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लेंगे ताकि मामले की सुनवाई के दौरान उठाये गये व्यापक मुद्दों पर न्यायालय निर्णय कर सके।
अधूरे तथ्यों की वजह से सुनवाई आगे बढ़ी
पीठ ने अपने आदेश में इस तथ्य का भी जिक्र किया है कि विधानसभा अध्यक्ष और कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत बागी विधायकों द्वारा दायर याचिका की विचारणीयता का मुद्दा भी उठाया है। पीठ ने यह भी कहा कि बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने विधानसभा अध्यक्ष की इस दलील का प्रतिवाद किया है कि सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों के इस्तीफे के मसले पर विचार करने से पहले उनकी अयोग्यता के मामले पर निर्णय लेना होगा। पीठ ने कहा कि इन सभी पहलुओं और हमारे समक्ष मौजूद अधूरे तथ्यों की वजह से इस मामले में आगे सुनवाई की जरूरत है।
मंगलवार को होगा विचार
पीठ ने कहा, ”सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण विषय उठने के मद्देनजर, हमारा मत है कि इस मामले में हमें मंगलवार को भी विचार करना होगा। हमारा मानना है कि आज की स्थिति के अनुसार यथास्थिति बनाये रखी जाये। न तो इस्तीफे के बारे में और न ही अयोग्यता के मुद्दे पर मंगलवार तक निर्णय किया जायेगा। बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने आरोप लगाया कि विधानसभा अध्यक्ष ने इस्तीफों पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है और इसे लंबित रखने के पीछे उनकी मंशा इन विधायकों को पार्टी व्हिप का पालन करने के लिये बाध्य करना है।
विधायकों की मंशा पर सवाल
उन्होंने कहा कि अध्यक्ष ने शीर्ष अदालत पहुंचने के लिये बागी विधायकों की मंशा पर सवाल किये हैं और मीडिया की मौजूदगी में उनसे कहा , ”गो टु हेल। रोहतगी ने कहा, ”अध्यक्ष को इन इस्तीफों पर फैसला लेने के लिये एक या दो दिन का समय दिया जा सकता है और यदि वह इस अवधि में निर्णय नहीं लेते हैं तो उनके खिलाफ अवमानना का नोटिस दिया जा सकता है। संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुये उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सदन में कराये गये विधायी और दूसरे कार्य न्यायालय की समीक्षा के दायरे से बाहर हैं लेकिन इस्तीफों का मामला ऐसा नहीं है।