नाका हिंडोला होटल अग्निकांड: अफसरों की लापरवाही से गई थीं छह जान
लखनऊ, एक साल पहले नाका में होटल विराज और एसएसजे इंटरनेशनल में हुए भीषण अग्निकांड में आधा दर्जन लोगों की मौत के मामले की मजिस्ट्रेटी जांच पूरी हो गई है। जांच में लखनऊ विकास प्राधिकरण और पुलिस सहित चार विभागों के अफसरों को जिम्मेदार ठहराया गया है। कहा गया है कि अगर सरकारी अधिकारी अपना काम ईमानदारी से करते तो लोगों की जानें नहीं जातीं। रिपोर्ट में होटल संचालकों के खिलाफ भी कार्रवाई की सिफारिश है।
19 मई 2018 की रात होटल एसएसजे इंटरनेशनल और विराज में भयानक आग लगी थी और आधा दर्जन लोगों की मौत हो गई थी। डीएम कौशल राज शर्मा ने मामले की मजिस्ट्रेटी जांच करने का आदेश दिया था। करीब 13 महीने बाद मजिस्ट्रेट गिरजेश कुमार चौधरी ने जांच पूरी कर डीएम को रिपोर्ट सौंप दी है। अब मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट को लेकर अगर वाकई प्रशासन गंभीर होता है तो कई अधिकारियों पर शिकंजा कसेगा। रिपोर्ट में स्पष्ट इस बात का उल्लेख है कि शासन के निर्देशों की अवहेलना की गई, जिसके चलते इतना भयानक अग्निकांड हुआ। हालांकि लखनऊ विकास प्राधिकरण ने इस मामले में अभियंता की जवाबदेही तय करते हुए उसके खिलाफ कार्रवाई की बात कही थी।
जिला प्रशासन बचा
रिपोर्ट में जिला प्रशासन को क्लीन चिट दी गई है। सराय एक्ट में लाइसेंस देने का काम जिला प्रशासन के पास ही होता है। इसके साथ ही होटल एसएसजे इंटरनेशनल और विराज के संचालक अवैध होटल और बार चलाने के दोषी पाए गए हैं।
समय रहते कार्रवाई होती तो नहीं होता अग्निकांड
अग्निकांड की वजह सरकारी विभागों की अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ना है। 2015 में प्रतापगढ़ के होटल आर्यन में हुए अग्निकांड में दस लोगों की जान जाने के बाद तत्कालीन डीएम ने विभागों से होटलों की जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। जांच रिपोर्ट के मुताबिक अगर समय रहते विभागों ने एक्शन लिया होता तो अग्निकांड नहीं होता।
कौन-कौन विभाग दोषी
एलडीए : होटलों का नक्शा पास नहीं था और अधिकारियों ने होटल सील नहीं किया। लंबे समय तक इंजीनियर अवैध निर्माण की अनदेखी करते रहे ।
अग्निशमन विभाग : होटल में अग्निशमन सुरक्षा को लेकर मानकों का उल्लंघनहुआ। विभाग ने होटल में आग से बचाव के लिए इंतजाम सुनिश्चित नहीं कराया।
आबकारी विभाग : होटलों में बिना लाइसेंस के बार चल रहे थे। केवल एसएसजे इंटरनेशनल को 20-12-17 से 31-3-18 तक बार चलाने की अनुमति थी और बार मई तक चलता रहा। अगर इलाकाई निरीक्षक सतर्क होते तो बार नहीं चलता। बार से ही आग की शुरुआत हुई।
पुलिस : अगर स्थानीय पुलिस समय-समय पर होने वाले निरीक्षणों के दौरान अग्नि सुरक्षा और बार लाइसेंस की जांच करती तो पहले ही कार्रवाई हो जाती।