तीन तलाक बिल पर राज्यसभा में सरकार को बीजेडी का साथ, विधेयक के पास होने की गुंजाइश बढ़ी
Abpbharat news -राज्यसभा में आज पेश होने वाले तीन तलाक बिल पर बीजेडी सरकार का साथ देगी। इस फैसले के बाद सरकार को उम्मीद है कि इससे विधेयक को संसद के ऊपरी सदन में भी पास करवाने में उसे सफलता मिलेगी। बता दें कि एनडीए की सहयोगी जेडीयू इस बिल का विरोध कर रही है। उधर, कांग्रेस और टीएमसी ने सरकार के घेरने के लिए अपने सांसदों को विप जारी कर दिया है। बीजेपी सोमवार को ही अपने सभी सांसदों को विप जारी कर चुकी है। बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में भी लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को निचले सदन से मंजूरी दिला दी गई थी, लेकिन राज्यसभा में यह पास नहीं हो पाया था।
बीजेपी, कांग्रेस, TMC के विप जारी
सरकार एकसाथ तीन तलाक देनेवाले मुस्लिम पुरुषों के लिए जेल की सजा का प्रावधान करने वाले इस बिल को लोकसभा में पास करवा चुकी है। आज यह बिल राज्यसभा में पेश किया जाना है जिस पर जोरदार बहस और फिर वोटिंग होने की उम्मीद है। सत्ता पक्ष और विपक्ष इस बिल पर वोटिंग के जरिए राज्यसभा में खुद को ज्यादा ताकतवर साबित करने को कोशिश में जी-जान से जुटा है। यही वजह है कि बीजेपी, कांग्रेस के साथ-साथ तृणमूल कांग्रेस ने भी अपने-अपने सदस्यों को वोटिंग के दौरान सदन में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने के लिए विप जारी कर दिया है। राज्यसभा बीजेडी में पार्टी लीडर प्रसन्न आचार्य ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, ‘बीजेडी राज्यसभा में ट्रिपल तलाक बिल का समर्थन करेगी।’
बीजेपी के फ्लोर मैनेजर्स की आस
तीन तलाक बिल पर राज्यसभा में समर्थन करने के बीजेडी के ऐलान के बाद सरकार को कुछ अन्य गैर-एनडीए, गैर-यूपीए दलों का प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष समर्थन मिलने की उम्मीद है। सदन में बीजेपी के फ्लोर मैनेजर्स की आस कुछ सांसदों की गैर-हाजिरी जबकि कुछ के वॉकआउट करने पर टिकी है। वे एआईएडीएमके और टीआरएस जैसे दलों के राज्यसभा सांसदों के वॉकआउट करने या गैर-हाजिर रहने जैसी सभी संभावित परिस्थितियों का विश्लेषण कर रहे हैं। सरकार को ऐसे हालात बनने की उम्मीद इसलिए भी है क्योंकि इन पार्टियों ने लोकसभा में विधेयक का विरोध नहीं किया था।
जेडीयू, YSRCP के विरोध का ऐलान
बीजेडी के ऐलान से सरकार ने थोड़ी राहत की सांस तो जरूर ली होगी, लेकिन सहयोगी दल जेडीयू का बिल के विरोध का ऐलान उसके लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। साथ ही, जिन गैर-एनडीए, गैर-यूपीए दलों ने आरटीआई संशोधन बिल पर सरकार का साथ दिया था, उनमें वाईएसआरसीपी स्पष्ट कर चुकी है कि उसके दो राज्यसभा सांसद विधेयक के खिलाफ वोट करेंगे।
इस बार राज्यसभा से पास होने की गुंजाइश बढ़ी
राज्यसभा में कुल 245 में से 4 सीटें खाली हैं। यानी कुल 241 सांसदों वाले इस सदन में बहुमत का आंकड़ा 121 का है। यहां अगर दलगत आंकड़ों पर नजर डालें तो कुल मिलाकर सत्ता पक्ष ही मजबूत होता दिख रहा है। अभी सत्ताधारी एनडीए गठबंधन को राज्यसभा में 12 मनोनीत और निर्दलीय सांसदों समेत कुल 113 सदस्यों का समर्थन हासिल है। हालांकि, तीन तलाक बिल पर जेडीयू के विरोध और बीजेडी के समर्थन से यह आंकड़ा 114 तक पहुंचा है। अब अगर टीआरएस के छह सदस्य बिल का समर्थन कर दें तो सरकार को सिर्फ एक अन्य सांसद की दरकार रह जाएगी। दूसरी परिस्थिति यह हो सकती है कि एआईएडीएमके और टीआरएस के सांसद वॉकआउट कर जाएं। तब बहुमत का आंकड़ा ही नीचे आ जाएगा और सरकार का काम बन जाएगा। कुल मिलाकर इस बार तीन तलाक बिल के राज्यसभा में पास होने की भरपूर गुंजाइश दिख रही है।
तीन तलाक बिल पर मोदी सरकार बेहद गंभीर
गौरतलब है कि पत्नी से एक साथ तीन तलाक लेने को अपराध करार देने वाले इस विधेयक में दोषी पुरुष को तीन साल की सजा का प्रस्ताव है। बीजेपी दोबारा सत्ता में आने के बाद संसद के पहले ही सत्र में इस बिल को कानून का रूप देना चाह रही है। कई विपक्षी दल इस विधेयक का तीखा विरोध कर रहे हैं, जबकि सरकार का कहना है कि यह लैंगिक न्याय और समानता का मसला है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और डीएमके जैसे दलों की मांग है कि सरकार को इस विधेयक को उच्च सदन में पेश करने से पहले इससे संसदीय पैनल के पास स्क्रूटनी के लिए भेजना चाहिए।