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RBI का बड़ा फैसला! आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए लगातार चौथी बार नीतिगत दर में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है.

महंगाई दर के नियंत्रण में होने के साथ विशेषज्ञों को उम्मीद है कि रिजर्व बैंक  आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए लगातार चौथी बार नीतिगत दर में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली  मौद्रिक नीति समिति  आर्थिक स्थिति पर पर विचार कर रही है और अपनी तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा बुधवार को करेगी. मुद्रास्फीति के आरबीआई के संतोषजनक स्तर पर होने, वाहन क्षेत्र में नरमी, बुनियादी ढांचा उद्योग में नाममात्र वृद्धि, मानसून को लेकर चिंता और शेयर बाजार में गिरावट को देखते हुए नीतिगत दर में एक और कटौती की उम्मीद की जा रही है.

ब्याज दरें घटाने का मतलब है कि अब बैंक जब भी आरबीआई से फंड (पैसे) लेंगे, उन्हें नई दर पर फंड मिलेगा. सस्ती दर पर बैंकों को मिलने वाले फंड का फायदा बैंक अपने उपभोक्ता को भी देंगे. यह राहत आपके साथ सस्ते कर्ज और कम हुई ईएमआई के तौर पर बांटी जाती है. इसी वजह से जब भी रेपो रेट घटता है तो आपके लिए कर्ज लेना सस्ता हो जाता है. साथ ही जो कर्ज फ्लोटिंग हैं उनकी ईएमआई भी घट जाती है.

जिन ग्राहकों के लोन एमसीएलआर से जुड़े हैं, उनकी ईएमआई का बोझ कम होगा. इसके लिए जरूरी है कि बैंक एसीएलआर में कटौती करे. हालांकि, फायदा तभी से शुरू होगा जब लोन की रीसेट डेट आएगी. अमूमन बैंक छह महीने या सालभर के रीसेट पीरियड के साथ होम लोन की पेशकश करते हैं. रीसेट डेट आने पर भविष्य की ईएमआई उस समय की ब्याज दरों पर निर्भर करेंगी.

जिन ग्राहकों के लोन अब भी बेस रेट या बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट  से जुड़े हैं, उन्हें अपने होम लोन को एमसीएलआर आधारित व्यवस्था में स्विच कराने पर विचार करना चाहिए. कारण है कि नई व्यवस्था में पारदर्शिता अधिक है. इनमें पॉलिसी रेट में कटौती का असर तुरंत दिखता है.

नए ग्राहक नए होम लोन ग्राहक एमसीएलआर व्यवस्था में लोन ले सकते हैं. उनके पास एक्सटर्नल बेंचमार्क व्यवस्था का मूल्यांकन करने का भी विकल्प है. इसके लिए उन्हें थोड़ा इंतजार करना होगा. इस तरह की व्यवस्था पर दिशानिर्देश आने बाकी हैं.
भारतीय स्टेट बैंक  के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा था कि वह एमपीसी द्वारा रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की उम्मीद कर रहे हैं. नीतिगत दर में कटौती के साथ उद्योग जगत छह सदस्यीय एमपीसी से यह सुनिश्चित करने की भी उम्मीद कर रहा है कि बैंक दर में कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचे. इसके साथ ही उद्योग जगत आर्थिक तंत्र में नकदी की स्थिति में सुधार पर भी जोर दे रहा है.

उद्योग मंडल सीआईआई ने एक बयान में कहा कि केंद्रीय बैंक ने आर्थिक वृद्धि के रास्ते में चुनौतियों और मुद्रा स्फीति के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे रहने के मद्देनजर इस साल फरवरी 2019 में नीतिगत दर में कटौती शुरू की. उसने कहा लेकिन दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों को मिलना अभी बाकी है. सीआईआई ने कहा है कि आरबीआई को नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में 0.50 प्रतिशत की कटौती करनी चाहिए. इससे अर्थव्यवस्था में 60,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध होगी.

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