NASA दे सकता है ISRO को अच्छी ख़बर, भेजेगा चांद से विक्रम लैंडर की तस्वीर
मंगलवार को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भारत के लिए एक अच्छी ख़बर ला सकता है। नासा का लुनार रिकॉनियसैंस ऑर्बिटर (एलआरओ) मंगलवार को ठीक वहीं से गुजरेगा जहां पर लैंडर विक्रम चांद की सतह पर पड़ा है। आज जिस मिशन को नासा अंजाम देने वाला है उसको लिए एलआरओ की ऊंचाई को 100 किमी से 90 किमी किया जाएगा। इसकी जानकारी खुद नासा के दो एस्ट्रॉ नॉट्स ने दी है। नासा का ल्यूकनारक्राफ्ट यदि आज के अपने इस मिशन में कामयाब हो गया तो यह भी काफी बड़ी उपलब्धि होगी। गौरतलब है कि नासा का यह ऑर्बिटर वर्ष 2009 से ही चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है।
विक्रम चांद की सतह पर अपने उतरने वाली तय जगह से महज 335 मीटर की दूरी पर पड़ा हुआ है। इस बीच, सात सितंबर को हुई हार्ड लैंडिंग के चलते कोई जवाब नहीं दे रहे विक्रम से भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो भी संपर्क करने की कोशिशों में जुटा हुआ है। अमेरिकी मीडिया के मुताबिक, नासा का लुनार रिकॉनियसैंस ऑर्बिटर (एलआरओ) जैसे ही चांद के इस हिस्से के आसमान से गुजरेगा, वहां से वह विक्रम की तस्वीरें भेजेगा। हालांकि, ये तस्वीरें धुंधली भी हो सकती हैं। एलआरओ परियोजना वैज्ञानिक नोआ पेट्रो के मुताबिक, नासा ये तस्वीरें इसरो के वैज्ञानिकों को मुहैया कराएगा, ताकि चंद्रयान-2 मिशन के विक्रम के बारे में सटीक आकलन किया जा सके। इन तस्वीरों से विक्रम की सही हालत का अंदाजा लगाया जा सकेगा।
आपको बता दें कि चंद्रयान 2 के तहत छोड़ा गया ऑर्बिटर अब भी चांद के चक्क र लगा रहा है। इसने ही 9 सितंबर को सबसे पहले लैंडर विक्रम की थर्मल इमेज खींची थी। इसके जरिए ही उस जगह का पता चल सका था जहां आज लैंडर मौजूद है। गौरतलब है कि लैंडर विक्रम 7 सितंबर को चांद के दो क्रेटर्स मजिनस सी और सिमपेलियस एन के बीच वाले मैदान में लगभग 70 डिग्री दक्षिणी अक्षांश पर उतरना था। इन दोनों के बीच की दूरी करीब लगभग 45 किमी है। लेकिन सतह छूने से दो किमी पहले ही यह अपने मार्ग से भटक गया और इसका संपर्क इसरो के मिशन कंट्रोल से टूट गया। फिलहाल लैंडर विक्रम चांद की सतह पर बेसुध पड़ा है।
बता दें कि इसरो प्रमुख के सिवन ने कहा था कि वैज्ञानिक विक्रम के साथ संबंध स्थापित करने का प्रयास करते रहेंगे। विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने के लिए महज पांच दिन बचे हैं। ऐसे इसलिए क्योंकि विक्रम जिस वक्त चांद पर गिरा, उस समय वहां सुबह ही हुई थी। चांद का पूरा दिन यानी सूरज की रोशनी वाला पूरा समय धरती के 14 दिनों के बराबर होता है। इन दिनों में चांद के इस इलाके में सूरज की रोशनी रहती है। 14 दिन बाद यानी 20-21 सितंबर को चांद पर रात होनी शुरू हो जाएगी। 14 दिन काम करने का मिशन लेकर गए विक्रम और उसके रोवर प्रज्ञान के मिशन का वक्त पूरा हो जाएगा। इस अवधि के बाद सौर पैनलों के सहारे चलने वाला विक्रम लैंडर स्लीप मोड में चला जाएगा।