अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्ष का यू-टर्न, राम चबूतरे को लेकर कही ये बड़ी बात
पिछले कई सालो से सुप्रीम कोर्ट में चल रही अयोध्या मामले की सुनवाई शुरू हो गयी है। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष अपनी दलील से पलट गया है। मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड ने माना था कि राम अयोध्या में जन्मे थे, लेकिन आज हुई सुनवाई के 31वें दिन की सुनवाई में वकील ने कहा कि उन्होंने ऐसा स्वीकार नहीं किया था। बुधवार को सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से वकील जफरयाब जिलानी ने अपनी दलीलें शुरू कीं। जिलानी ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने यह बिल्कुल स्वीकार नहीं किया कि राम चबूतरा भगवान राम का जन्मस्थान है।
जिलानी ने कहा कि हमारा कहना यह है कि यह हिंदुओं का विश्वास है और जिला न्यायाधीश की इस मामले में निगरानी के बाद हमने इस संदर्भ में कोई कदम नहीं उठाया। न्यायाधीश ने कहा था कि ये राम चबूतरा भगवान राम का जन्मस्थान है। हमने कभी अपनी ओर से नहीं कहा कि ये जन्मस्थान है।
शीर्ष अदालत में जिलानी ने उच्च न्यायालय के फैसले में गजेटियर रिपोर्ट के संदर्भ में पढ़ते हुए कहा कि गजेटियर रिपोर्ट लोगों के उस विश्वास को सपोर्ट नहीं करती, जिसके तहत वे ये मानते हैं कि विवादित स्थल पर मंदिर था।
मंगलवार को जस्टिस एसए बोबडे ने जिलानी से सवाल किया कि क्या आप मानते हैं कि राम चबूतरा, भगवान राम का जन्मस्थान है? इसपर जिलानी ने कहा, इसे लेकर विवाद नहीं। यह सभी यहीं मानते हैं। स्कंद पुराण के मुताबिक जन्मस्थान, अमुक स्थान से अमुक दूरी पर है, लेकिन अब वह स्थान अस्तित्व में नहीं है। वर्ष 1886 में जिला जज ने राम चबूतरे को जन्मस्थान मानते हुए पहां पूजा करने की इजाजत दी थी। लेकिन बाद में हिन्दू, जन्मस्थान मंदिर बताते हुए भीतरी अहाते और गुंबद वाली इमारत पर दावा करने लगे। विवाद मस्जिद के भीतर अहाते को लेकर है।
जन्मस्थान पर विश्वास आस्था के आधार पर
जन्मस्थल पर भगवान राम के जन्म, विश्वास व आस्था के आधार पर है, कोई सबूत नहीं है। रामचरित्र मानस और रामायण में जन्मस्थान का जिक्र नहीं है। यह तो हिन्दू पक्ष को साबित करना है कि किस किताब में जन्मस्थान का जिक्र है।
गुबंद के नीच कभी पूजा नहीं हुई
इससे पहले मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा, मस्जिद के बीच वाले गुबंद के नीचे कभी पूजा नहीं हुई। 1949 में गलत तरीक से वहां मूर्ति रखी गई। सन् 1528 में बाबर के कमांडर मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद बनवाई थी। तब से वहां नमाज पढ़ी जा रही थी। जबकि राम चबूतरे पर हिन्दू पूजा करते थे।
मंगलवार को मुस्लिम पक्ष के वकील ने क्या कहा था
जस्टिस बोबडे (मुस्लिम पक्ष से): यानी आप इस बात पर विवाद नहीं कर रहे हैं कि राम का जन्म अयोध्या में हुआ था।
जिलानी (मुस्लिम पक्ष के वकील): अयोध्या का राम का जन्म हुआ, इसे लेकर कोई विवाद नहीं है। हमारा विवाद इस मस्जिद केभीतर अहाते में जन्मस्थान को लेकर है।
जिलानी: 1949 से पहले मध्य गुंबद के नीचे पूजा का कोई सुबूत नहीं है।
जस्टिस बोबडे: आपके पास यह सबूत है कि 1949 से पहले वहां नियमित रूप से नमाज होती थी।
जिलानी: इसके लिखित सबूत तो नहीं है लेकिन जुबानी सबूत हैं।
जस्टिस अशोक भूषण: रामचरित्र मानस और रामायण में अयोध्या में दशरथ महल में राम के जन्म का जिक्र है, स्थान का नहीं।
जस्टिस चंद्रचूड़: ग्रंथों में जन्मथान का जिक्र नहीं है तो क्या भगवान राम का जन्म अयोध्या में नहीं हुआ?
जस्टिस बोबडे: आइन-ए-अकबरी में मस्जिद का जिक्र क्यों नहीं है?
जिलानी: किताब में रामजन्मभूमि का भी जिक्र नहीं है। जिक्र अवध का है।