बेटे को क्रिकेटर बनाने में खत्म हुआ पिता का कारोबार, परिवार के संघर्ष ने बना दिया सुपरस्टार
हर माँ-बाप का सपना होता है कि उनका बच्चा बड़ा नाम करें और उन सपनों को पूरा करने के लिए माँ-बाप हर एक संभव कोशिश करते है। आज हम आपको एक ऐसे ही पिता की कहानी बताने जा रहें है जिसने अपने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए क्या-क्या संघर्ष झेले। यह एक पिता का जुनून और पुत्र की साधना ही तो है कि कारोबार बिक गया। आर्थिक संकट झेलने पड़े, लेकिन न पिता ने हिम्मत हारी और न शिवम को कोई चुनौती डगमगा पाई। चार साल की उम्र में घर के नौकर ने शिवम की कला पहचानी। पिता ने भी जब खेल देखा तो समझ गए कि उनका बेटा सिर्फ क्रिकेटर बनने के लिए ही पैदा हुआ है।
ऐसे ही एक पिता हैं राजेश दुबे, जिनका सीना उस वक्त गर्व से चौड़ा हो गया, जब शुक्रवार को उन्हें बेटे शिवम के भारतीय क्रिकेट टीम में चुने जाने जाने की खबर लगी।
लगातार पांच छक्के जड़कर पाई थी पहचान
इसके पीछे सबसे बड़ी वजह रही पिछले कुछ समय से शिवम का प्रदर्शन। हाल ही में दक्षिण अफ्रीका ए टीम के खिलाफ भारत की ए टीम के सदस्य के रूप में भी उन्होंने धमाकेदार प्रदर्शन किया था। गेंद को पूरी ताकत के साथ मैदान के बाहर पहुंचाने की क्षमता रखने वाले खब्बू बल्लेबाज शिवम का नाम सबसे पहले उस समय चर्चा में आया था जब रणजी ट्रॉफी मुकाबले में उन्होंने वडोदरा के स्वप्निल सिंह के ओवर में पांच छक्के जड़े थे। इस प्रदर्शन के आधार पर 5 करोड़ की भारी-भरकम रकम में विराट कोहली की अगुवाई वाली रॉयल चैंलेजर्स बैंगलोर ने उन्हें खरीदा था। पिछले सीजन में शिवम ने विजय हजारे ट्रॉफी में बल्ले से शानदार प्रदर्शन किया था, उन्होंने इस दौरान एक शतक भी जड़ा था। टूर्नामेंट में जड़े 15 छक्कों से उनकी छवि ऐसे बल्ले के रूप में बनी थी जो अपने आक्रामक खेल से किसी मैच का रुख बदल सकता है।