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क्‍या है मानव विकास सूचकांक,कहा ठहरता है इसमें भारत और पाकिस्‍तान।

यूएनडीपी में भारतीय प्रतिनिधि ने जो तर्क दिया उसके मुताबिक भारत ने वर्ष 2005-2016 के दौरान काफी तरक्‍की की है। इस दौरान जो काम किए गए उसकी वजह से न सिर्फ लोगों का जीवन सुधरा बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधरी। इस दौरान करीब 27.1 करोड़ लोग गरीबी के दायरे से बाहर हो गए। इसके अलावा भारत की आबादी में जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के बेहतर होने की वजह से भी रैंकिंग में सुधार हुआ है]

इस सूचकांक में भारत से आगे जो देश हैं उनमें श्रीलंका, ईरान और चीन शामिल है। लेकिन पाकिस्‍तान इस सूचकांक में भारत से कहीं पीछे है। वह इस सूचकांक में 147वीं पायदान पर है। वहीं बांग्लादेश की 134वें पायदान पर है।

देश की जीडीपी प्रति व्‍यक्ति, जीवन प्रत्याशा और शिक्षा का स्तर अधिक होता है तो उसको इस सूचकांक की उच्च श्रेणी में रखा जाता है। प्राप्त होती हैं। मानव विकास सूचकांक का विकास पाकिस्तान के अर्थशास्त्री महबूब उल हक द्वारा 1990 में किया गया था।

भारत द्वारा लगातार विकास की राह पर अग्रसर होना है। यूएनडीपी में भारतीय प्रतिनिधि ने जो तर्क दिया उसके मुताबिक भारत ने वर्ष 2005-2016 के दौरान काफी तरक्‍की की है। इस दौरान जो काम किए गए उसकी वजह से न सिर्फ लोगों का जीवन सुधरा बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधरी। इस दौरान करीब 27.1 करोड़ लोग गरीबी के दायरे से बाहर हो गए। इसके अलावा भारत की आबादी में जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के बेहतर होने की वजह से भी रैंकिंग में सुधार हुआ है

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