उत्तर प्रदेश: फर्रुखाबाद में सौ वर्ष से अधिक उम्र के मतदाता नरेंद्र मोदी को चाहते हैं प्रधानमंत्री…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोकस भले ही देश के युवाओं पर है, लेकिन उनके दीवाने तो बुजुर्ग मतदाता भी हैं। फर्रुखाबाद के 107 वर्षीय नाथूलाल द्विवेदी एक बार फिर से नरेंद्र मोदी को देश के प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।
देश की आजादी के बाद से ही हर चुनाव में मतदान करने वाले नाथूलाल द्विवेदी राजनीति में भ्रष्टाचार से बेहद दुखी हैं। उनको भरोसा है कि नरेंद्र मोदी के ही नेतृत्व में भ्रष्टाचार पर कुछ अंकुश जरूर लगेगा। उनका मानना है कि लोग अब भ्रष्टाचार मिटाने की मुहिम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आ चुके हैं। अभी बड़ी दूरी तय करनी है, इसी कारण प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी का एक और कार्यकाल देश के लिए बहुत जरूरी है।
फर्रुखाबाद के कायमगंज क्षेत्र के गांव पुरौरी निवासी नाथूलाल द्विवेदी अपने जीवन के 107 बसंत देख चुके हैं। वह देश की आजादी के गवाह हैं। उन्होंने आजादी के बाद पहली लोकसभा के लिए हुए चुनाव में पहली बार मतदान किया। तब से अभी तक वह हर चुनाव में मतदान जरूर करते हैं। नाथूलाल द्विवेदी वर्ष 2019 में एक बार फिर मतदान कर नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं।
निर्वाचन आयोग की ओर से सौ वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके मतदाताओं की पहचान, सत्यापन व सम्मान अभियान के तहत जनपद में कुल तीन मतदाता मिले हैं। कायमगंज विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पुरौरी के बूथ संख्या 72 की मतदाता सूची में दर्ज नाथूलाल से मिलने उनके गांव पहुंचे तो भीषण गर्मी में वह चारपाई पर अंगौछा पहने लेटे मिले। परिचय दिया तो पहले घर से कुर्ता मंगवा कर पहना, फिर बात शुरू की। उनके सुनने की क्षमता कम हो गई है तो पुत्र शिवसरन बातचीत के माध्यम बने।
पांच पुत्र, दस पौत्र, आठ प्रपौत्र वाले नाथूलाल द्विवेदी बताते हैं कि वह राजनीति में कभी नहीं रहे, न ही कभी किसी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की लेकिन, आरएसएस की विचारधारा अच्छी लगती रही। इसी गांव के बूथ संख्या 73 की मतदाता सूची में दर्ज कन्हई लाल का नाम भी शतायु वोटरों की सूची में है।
नेताओं के रवैये से निराश हैं शतायु मतदाता
अमृतपुर के ग्राम दारापुर निवासी रामदयाल की आयु भी सौ वर्ष से अधिक है। आजादी की स्मृतियां उनके जेहन में जिंदा हैं। रामदयाल को अफसोस है कि अब वोट लेने के बाद नेता जनता की नहीं सुनते हैं। राजनीति में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है।
पहले प्रचार के इतने संसाधन नहीं थे। गांव में एक स्थान पर ग्रामीण इकट्ठा हो जाते थे और नेता उनसे अपनी बात कह कर समर्थन की अपील करते थे। जीतने के बाद वादों का पूरा करते थे। अब नेता के वोटों के ठेकेदार जनता से संपर्क करते हैं। चुनाव के बाद नेता जनता की समस्याओं का समाधान नहीं करते हैं। अब जनप्रतिनिधि जनता से सीधे संवाद में विश्वास नहीं करते हैं। पहले राजनीति में ईमानदार लोग आते थे। रामदयाल बताते हैं कि उन्होंने इतनी बार मतदान किया है, कि अब तो गिनती याद नहीं।