संजीव सान्याल बोले की केंद्रीय बजट,वित्त वर्ष 20 -21 में 6.5% …..
संसद में प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण ने अनुमान लगाया कि सकल घरेलू उत्पाद 2020-21 के आगामी वित्तीय वर्ष में 6 से 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुमानों पर बोलते हुए, वित्त मंत्रालय के प्रधान आर्थिक सलाहकार, संजीव ने कहा कि इन लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है साथ ही उन्होंने यह भी कहा की हमें पिछली 3-4 तिमाहियों में नुकसान हुआ था, लेकिन ये संख्या अब समतल हो गई है। भविष्य में, कुछ चीजें हमारे पक्ष में होंगी।
हमने अपने बैंक को साफ कर दिया है, और अब उनके पास निवेश करने के लिए पूंजी है। बैंक को अधिक ऋण देना चाहिए क्योंकि उनके पास अब तरलता है। हम आसानी से 6 से 6.5 प्रतिशत की दर से विकास करेंगे आपको बता दे की बजट की तैयारी वैसे तो काफी पहले शुरू हो जाती है, लेकिन खासकर दिसंबर से इसमें तेजी आई. बजट तैयार करने में वित्त मंत्रालय के कई शीर्ष अधिकारियों ने वित्त मंत्री का साथ दिया. आइए जानते हैं कि उनकी टीम में कौन-कौन से धुरंधर लोग शामिल हैं.
वित्त मंत्रालय के पांच विभाग हैं- आर्थिक मामले, राजस्व, व्यय, वित्तीय सेवाएं, निवेश एवं पब्लिक एसेट प्रबंधन बजट तैयार करने में इन विभागों के शीर्ष अधिकारी यानी सचिव और इनके साथ सरकार के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर और प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. इस बार का बजट काफी महत्वपूर्ण है.
1. के. सुब्रमण्यन, मुख्य आर्थिक सलाहकार
कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन को रघुराम राजन ने पढ़ाया है. उन्होंने अमेरिका के शिकागो यूनिवर्सिटी से प्रोफेसर लुइगी जिंगालेस और रघुराम राजन के नेतृत्व में फाइनेंशियल इकोनॉमिक्स से पीएचडी किया है. भारत में उन्होंने आईआईटी कानपुर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट,कोलकाता से पढ़ाई की है. उन्हें वित्तीय क्षेत्र की गहरी जानकारी है. वह सेबी और रिजर्व बैंक की कई एक्सपर्ट कमिटी में रह चुके हैं और भारत में बड़े आर्थिक एवं कॉरपोरेट सुधारों का भी हिस्सा रहे हैं. उन्होंने शुक्रवार को बजट से पहले 2019-20 का आर्थिक सर्वेक्षण भी पेश किया है.
2. राजीव कुमार, वित्तीय सेवाएं विभाग के सचिव-
मोदी सरकार के कई प्रमुख एजेंडा जैसे सार्वजनिक बैंकों के विलय, फंसे कर्जों पर अंकुश आदि पर काम करने में राजीव कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उनके खाते में बीमा कंपनियों के विलय और सार्वजनिक बैंकों में सुधार की भी जिम्मेदारी है. वह वित्त मंत्रालय के पांच सचिवों में से सबसे सीनियर हैं. 1984 बैच के झारखंड काडर के आईएएस अधिकारी राजीव कुमार के कार्यकाल के दौरान ही बैंकों में 2.1 लाख करोड़ रुपये की रीकैपिटलाइजेशन कार्यक्रम की घोषणा की गई है.
3. अजय भूषण पांडेय, राजस्व सचिव-
आधार कार्ड परियोजना को साकार करने वाली यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी में कौशल दिखाने के बाद अब अजय भूषण से राजस्व के मोर्चे पर कमाल करने की उम्मीद है. उन्होंने हसमुख अधिया की जगह ली है. सुस्त अर्थव्यवस्था में सरकारी खर्च बढ़ाने की दरकार है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है. उनकी इस मामले में आलोचना की जाती है कि उन्होंने कर राजस्व का अव्यावहारिक लक्ष्य तय किया जिसे, पाना अब संभव नहीं लगता. बजट से पता चलेगा कि उन्होंने क्या सुझाव दिया है.
4 .तुहिन कांत पांडे, Dipam सचिव –
वह 1987 बैच के ओडिशा कैडर के अधिकारी हैं. उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती इस वित्त वर्ष में विनिवेश से 1.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने के सरकार द्वारा तय लक्ष्य को पूरा करना है. उन्हें एयर इंडिया, भारत पेट्रोलियम, शिपिंग कॉर्पोरेशन जैसी कंपनियों के निजीकरण को सुनिश्चित करना है. सरकार का राजस्व लक्ष्य से कम रहने की आशंका है, इसलिए निजीकरण के रास्ते पैसा जुटाने पर ही ज्यादा दारोमदार है.
5 .टीवी सोमनाथन, व्यय सचिव-
सोमनाथन 1987 बैच के तमिलनाडु काडर के अधिकारी हैं और हाल में ही व्यय सचिव बने हैं. वह साल 2015 से 2017 के बीच प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में भी काम कर चुके हैं. अपने इस अनुभव का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने वित्त मंत्री को क्या सलाह दिया, यह आज दिख जाएगा.
6 . संजीव सान्याल, प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर (PEA)-
इतिहासकार एवं अर्थशास्त्री संजीव सान्याल रिजर्व बैंक और वित्तीय क्षेत्र के लोगों के साथ मसलों पर अक्सर परामर्श करते रहते हैं. वह व्यापार और वाणिज्य के मसलों पर बनी समिति का भी हिस्सा हैं. उनका बजट के साथ आर्थिक सर्वेक्षण तैयार करने में भी अच्छा योगदान रहा है.