ट्रंप से असलियत छुपाने की कोशिश क्यों?
भारत में झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों की संख्या 6 करोड़ से अधिक है. झुग्गियां हमारे शहरी जीवन की क्रूर सच्चाई हैं. जहां बग़ैर पानी नाली की सुविधा के लाखों लोग ज़िंदगी बसर करते हैं और अपने सस्ते श्रम से मुंबई दिल्ली या अहमदाबाद जैसे शहरों को सींचते हैं. अभी-अभी दिल्ली चुनाव खत्म हुआ है. बीजेपी का नारा था जहां झुग्गी वहीं मकान. 20 लाख लोगों को मकान देने के नारे के साथ बीजेपी मैदान में उतरी थी तो केजरीवाल वहां सीवर लाइन पहुंचाने और सड़क बनाने के काम के दावे के साथ मैदान में उतरे थे.
एक तरह से राजधानी दिल्ली में झुग्गी बस्ती एक बड़ा मुद्दा था. मुंबई की झुग्गी बस्ती पर तो फिल्म बन चुकी है स्लम डॉग मिलनेयर. ऑस्कर भी मिल चुका है इस फिल्म को. तो सबको पता है भारत के शहरों के बीच में या पीछे बसी झुग्गियों की सच्चाई. फिर अहमदाबाद की एक झुग्गी न दिखे इसके लिए दीवार न बनाई जाए. नई बन रही आधी किलोमीटर लंबी यह दीवार अहमदाबाद एयरपोर्ट से गांधीनगर की ओर बनाई जा रही है. इस दीवार के पीछे सरानियावास नाम की एक झुग्गी बस्ती है. यहां के लोग अचानक से दीवार बनते देख हैरान भी हैं और चिन्तित भी. उनके आने जाने का रास्ता एक तरफ से बंद हो जाएगा. यह दीवार इसलिए बनाई जा रही है कि जब अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत आएं तो उन्हें यह झुग्गी न दिखे.
2014 में चीन के राष्ट्रपति आए थे तब उनके रूट में पड़ने वाली बस्तियों को हरे पर्दे से कवर कर दिया गया था. इस बार दीवार बनाई जा रही है. यहां रहने वाले 2000 से अधिक लोग अलग-अलग हुनर के हैं. बस्ती में बिजली तो है मगर शौचालय से लेकर स्नान घर में पानी का कनेक्शन नहीं है. दूर से पानी लाना पड़ता है. बिजली है इनके यहां. घरों की छतें टिन की है. यहां के लोगों का कहना है कि सच्चाई छिपाने के लिए दीवार ही बनानी थी तो उनके घर ही पक्के बन जाते. फिर छिपाने की ज़रूरत नहीं पड़ती. इस दीवार के बारे में मेयर को कितना पता है आप भी जान लें.
विदेश मंत्री ने एस जयशंकर ने ट्वीट किया है इस जहाज़ पर सवार भारतीयों से संपर्क हो गया है. उन्हें हर तरह की मदद देने की कोशिश हो रही है. भारत सरकार ने ढाई लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिग की है. बाहर के देशों से आने वाले खासकर चीन की तरफ से आने वाले यात्रियों की जांच की जा रही है. भारत के विदेश मंत्री ने ट्वीट किया है कि दो लोगों के टेस्ट पॉजिटिव निकले हैं. यानी उन्हें संक्रमण हुआ है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को किसी भी आतंकवादी हमले से ज़्यादा घातक है.