दिग्विजय बोले सिंधिया से ऐसे धोखे की नहीं थी उम्मीद
मध्य प्रदेश में सियासी घमासान के बीच पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को धोखेबाज बताया है सिंह ने कहा की मैंने कभी यह उम्मीद नहीं की थी कि महाराज कांग्रेस और गांधी परिवार को धोखा देंगे और किसके लिए ,राज्यसभा और कैबिनेट मंत्री बनने मोदीशाह के नेतृत्व में? दुःखद है कभी भी उनसे यह उम्मीद नहीं करता था। लेकिन, फिर कुछ लोगों के लिए पावर ऑफ हंगर यानी सत्ता की भूख से अधिक महत्वपूर्ण है साथ ही दिग्विजय ने कहा, मैं सत्ता से बाहर रहा और कांग्रेस के लिए 2004 से 2014 तक काम किया,
इस तथ्य के बावजूद कि मुझे मंत्रिमंडल में शामिल होने और राज्यसभा में जाने की पेशकश की गई थी लेकिन मैंने विनम्रता से मना कर दिया। मैं अपने गृह क्षेत्र राजगढ़ से आसानी से लोकसभा में आ सकता था लेकिन मैंने मना कर दिया और कांग्रेस उम्मीदवार को जीत मिली। क्यों? क्योंकि मेरे लिए विश्वसनीयता और विचारधारा अधिक महत्वपूर्ण है जो दुर्भाग्य से भारतीय राजनीतिक परिदृश्य से गायब हो गई है
दिग्विजय ने कहा की अब आरएसएस के नए प्रचारक बदल गए हैं। नरेंद्र मोदी आरएसएस के प्रचारकों की इस नई नस्ल का सबसे शानदार उदाहरण हैं। मैं नरेंद्र मोदीजी का प्रशंसक नहीं हूँ बल्कि उनके सबसे कटु आलोचकों में से एक हूं, लेकिन हर मुद्दे और हर अवसर पर बिना कोई समझौता किए देश को ध्रुवीकृत करने के उनके साहस के प्रयास की प्रशंसा करता हूं।
ऐसा करते वक्त उन्होंने कभी परवाह नहीं की कि भारत के सनातन धर्म और हिंदू धर्म की मान्य परंपराओं द्वारा बुने गए सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करने से देश को क्या नुकसान हो रहा है? उन्होंमे बतया की मैंने गुरु गोलवलकर की किताब बंच ऑफ थॉट्स को पढ़ा और आरएसएस के नेताओं से बातचीत की, इसके बाद मैंने विनम्रता से मना कर दिया। मेरे लिए मेरा धर्म सनातन धर्म है और सार्वभौम भाईचारे में मेरा विश्वास है। मेरे लिए मेरा धर्म मानवतावाद इंसानियत है जो हिंदुत्व के बिलकुल विपरीत है।