फांसी देने के साथ ही पवन जल्लाद इतिहास में हुआ दर्ज
आपको बतादे बड़ी खबर। ….. कई बार तिहाड़ जेल जाने के बाद आखिरकार मेरठ के पवन जल्लाद ने शुक्रवार की सुबह दिल्ली में फांसी देने का इतिहास बना दिया। एक साथ चार फांसी कभी किसी जल्लाद ने तिहाड़ जेल में नहीं दी। देश में अंग्रेजी हुकूमत के वक्त से फांसी देने का काम यह परिवार करता है। अब चार फांसी एक साथ देकर पवन ने अपने दादा का रेकॉर्ड तोड़ दिया है पवन जल्लद दो बार पहले भी निर्भया के दोषियों को फांसी देने के लिए दिल्ली तिहाड़ जेल पहुंचा था, लेकिन कानूनी दांव पेच के कारण फांसी टलने पर उसे मेरठ लौटना पड़ा था।
हालांकि, यूपी सरकार की तरफ से पवन को फांसी देने के लिए नामित करते ही वह फांसी देने के लिए मानसिक तौर पर तैयार था। मेरठ जेल में कई बार उसने फांसी की बारीकियों को परखा था और ट्रेनिंग ली थी। वह हर बार यही कहता था कि बिटिया के गुनाहगारों को एक साथ फांसी देने का उसका सपना जल्द पूरा होना चाहिए, जो शुक्रवार को हो गया हालांकि, पवन जल्लाद ने खुलासा किया था कि यह सपना उसके पिता का था, लेकिन उनको यह मौका नहीं मिल सका। पवन का दावा है कि जल्लाद बनना उनका खानदानी पेशा है।
उसने अपने दादा कल्लू जल्लाद के साथ फांसी देना सीखा था। फांसी के साथ ही पवन का ही नहीं बल्कि उसके दादा और पिता का सपना भी पूरा हो गया। अभी तक पवन के दादा और परदादा ने एक साथ चार लोगों को फांसी कभी नहीं दी थी। पवन जल्लाद ने उनका यह रेकॉर्ड शुक्रवार को निर्भया के दोषियों को फांसी देकर तोड़ दिया।
पवन का दावा है कि साल 1988 में वह अपने दादा के साथ आगरा गया था, जहां एक अपराधी को फांसी दी थी। मेरठ जिला जेल के वरिष्ठ अधीक्षक बीडी पांडेय के मुताबिक तीन दिन पहले ही जल्लाद पवन को मेरठ जेल में भी फांसी देने का तरीका सही तरीके से सिखाकर तिहाड़ जेल भेजा गया था। गौरतलब है कि सात साल के लंबे इंतजार के बाद निर्भया के दोषियों को फांसी दी गई।