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जान जोखिम में डाल नदी के रास्ते पलायन करते सैकड़ों मजदूर

आपने सड़क के रास्ते मजदूरों का पलायन देखा. फिर रेल की पटरियों पर पैदल चलते मजदूर देखे. अब देश के मजदूर अपनी जान जोखिम में डालकर नदियों के रास्ते पलायन करने पर मजबूर हैं. हरियाणा के यमुनानगर और यूपी के बागपत में गांव वापस जाने के लिए सैकड़ों मजदूर जान जोखिम में डालकर यमुना नदी पार कर रहे हैं मजबूरी, लाचारी, भूख और घर लौटने की चाह क्या होती है इसका अंदाजा मजदूरों के हालात से लगाया जा सकता है. हरियाणा के यमुनानगर में सैंकड़ों की संख्या में मजदूर अपना सामान सिर पर रखकर यमुना नदी के रास्ते पलायन करने पर मजबूर हैं. इन मजदूरों के साथ महिलाएं और बच्चे भी हैं. कुछ मजदूर साइकिल हाथ में उठाकर यमुना नदी को पार कर रहे हैं. नदी पार करते समय मजदूरों की जान भी जा सकती है लेकिन इसकी परवाह किए बिना ये इसे पार कर रहे हैं.

ज्यादातर मजदूर बिहार के हैं. हरियाणा के यमुनानगर से बिहार का रास्ता करीब 1400 किलोमीटर का है. ये सोचना कितना असंभव लगता है कि इस लंबे रास्ते को पैदल या साइकिल से तय किया जा सकता है. लेकिन इन मजदूरों ने इस चुनौती को स्वीकार किया है. भूखे प्यासे इन मजदूरों के पास दूसरा कोई रास्ता भी तो नहीं है. बिहार के ये मजदूर अपनी राज्य सरकार से मदद की गुहार भी लगा रहे हैं. ये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल पूछ रहे हैं कि इन्हें बीच रास्ते में मरने के लिए क्यों छोड़ दिया गया.मजदूरों ने हिमाचल से हरियाणा तक का सफर पैदल तय किया. फिर यमुना नदी के रास्ते ये लोग यूपी के बागपत आ गए. वो इसलिए कि किसी ना कहा कि बागपत से सरकारी बसें मिलेंगी. नदी से पलायन करते इन मजदूरों को अब पुलिस वापिस भेज रही है. नदी के रास्ते ही पुलिस ने इन मजदूरों को वापस लौटा दिया.

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