विदेश

जाधव मामले में 17 को दूसरा हलफनामा दाखिल करेगा पाकिस्तान

अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट (आइसीजे) में भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव मामले में 17 जुलाई को पाकिस्‍तान अपना दूसरा जवाबी हलफनामा दायर करेगा। पिछले साल अप्रैल माह में जासूसी और आतंक के आरोप में जाधव को पाक सैन्‍य अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद दिसंबर में जाधव ने इस्लामाबाद स्थित विदेश मंत्रालय के कार्यालय में अपनी पत्नी और मां से मुलाकात की।

पाक का जवाबी हलफनामा
आइसीजे ने 23 जनवरी को पाकिस्‍तान को ही दूसरे राउंड का हलफनामा दायर करने के लिए टाइमलाइन दिया था। 17 अप्रैल को भारत ने हेग स्‍थित अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट में अपील दर्ज कराई थी जिसके जवाब में पाकिस्‍तान की ओर से हलफनामा दिया जाएगा। जासूसी व आतंकवाद के आरोप में पाक सैन्‍य कोर्ट ने जाधव को मौत की सजा दी है। इसके बाद भारत की याचिका पर आईसीजे ने जाधव की फांसी पर रोक लगा दी थी।

शीर्ष अटॉर्नी ने तैयार किया है ये हलफनामा
एक्‍सप्रेस ट्रिब्‍यून के अनुसार, शुरुआत में जाधव मामला शीर्ष अटॉर्नी खावर कुरैशी के हाथ में था। कुरैशी ने प्रधानमंत्री नसीरुल मुल्‍क को पिछले सप्‍ताह पूरे मामले की जानकारी दी। पाकिस्‍तान के अटार्नी जनरल खालिद जावेद खान व अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारियों ने भी बैठक में हिस्‍सा लिया। मीडिया के अनुसार, जवाबी हलफनामा का ड्राफ्ट कुरैशी ने तैयार किया है। दूसरी बार जवाबी हलफनामा दायर करने के बाद आइसीजे सुनवाई तय करेगा। अनुमान के अनुसार यह सुनवाई अगले साल होगी।

इस साल नहीं हो सकेगी सुनवाई
अंतरराष्‍ट्रीय मुकदमों के एक्‍सपर्ट सीनियर वकील ने पाकिस्‍तानी मीडिया को बताया कि इस साल मामले की सुनवाई की संभावना नहीं है। कई अन्‍य मामलों की सुनवाई के लिए पहले ही अगले साल के मार्च/अप्रैल का समय तय किया जा चुका है। इसे देखते हुए जाधव मामले को अगले साल की गर्मियों में सुनी जाएगी।

2016 में जाधव को किया था गिरफ्तार
पाकिस्‍तानी सैन्‍य अदालत द्वारा जासूसी और आतंकवाद मामले में 48 वर्षीय जाधव को मौत की सजा दिए जाने के बाद पिछले साल भारत ने अंतरराष्‍ट्रीय अदालत का दरवाजा खटखटाया था। पाक ने दावा किया था जाधव ईरान से होकर कथित रूप से बलुचिस्तान में घुसे थे और सुरक्षा बलों ने उन्हें तीन मार्च 2016 को गिरफ्तार कर लिया था। भारत ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया था।

वियना संधि का उल्‍लंघन: भारत
आइसीजे के 10 सदस्‍यीय बेंच ने 18 मई को जाधव की फांसी पर पाकिस्‍तान को रोक लगा दिया था। अपने लिखित याचिका में जाधव का कंसुलर एक्‍सेस नहीं दिए जाने पर भारत ने पाकिस्‍तान पर वियना संधि के उल्‍लंघन का दोषी बताया। भारत का कहना है कि संधि में यह नहीं कहा गया है कि जासूसी के आरोपों में गिरफ्तार शख्‍स को ऐसे एक्‍सेस नहीं दिए जाएंगे।

पाक का तर्क
इसके जवाब में पाकिस्‍तान ने 13 दिसंबर को दिए गए अपने जवाबी हलफनामे में आइसीजे को बताया कि 1963 में कंसुलर रिलेशंस पर हुए वियना संधि के तहत कंसुलर एक्‍सेस राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में जैसे जासूसी या आतंकवाद आदि में गिरफ्तार विदेशी नागरिक को नहीं दी जा सकती। पाकिस्‍तान ने कहा कि चूंकि भारत ने भी इस बात से इंकार नहीं किया कि जाधव मुस्‍लिम नाम के पासपोर्ट पर यात्रा कर रहे थे इसलिए याचिका दर्ज कराने का कोई मामला ही नहीं।

पाक ने कहा कि भारत ने यह नहीं बताया कि एक नेवी कमांडर गलत नाम के साथ कैसे यात्रा कर रहा था। पाक ने यह भी कहा कि उस वक्‍त जाधव ड्यूटी पर थे तो यह निश्‍चित है कि उन्‍हें किसी विशेष मिशन पर जासूसी के तहत भेजा गया था। पाकिस्‍तान का दावा है कि इसके सुरक्षाबलों ने जाधव को 3 मार्च 2016 को गिरफ्तार किया था जब वे ईरान में प्रवेश कर चुके थे। जबकि भारत का कहना है कि ईरान से जाधव का अपहरण किया गया था जहां नेवी से रिटायर होने के बाद वे बिजनेस के लिए गए थे।

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