पूर्व सीएम कमलनाथ ने विधायकों से 121 चर्चा की :मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में सत्ता जाने और राजस्थान में मौजूदा सियासी संग्राम के बीच कांग्रेस पार्टी के विधायकों की ‘बीजेपी-दौड़’ ने कांग्रेस पार्टी की परेशानी बढ़ा दी है. मध्य प्रदेश में कुछ दिनों में विधानसभा उपचुनाव भी हैं.
ऐसे में कांग्रेस ने अपने विधायकों को पार्टी में बनाए रखने की कवायद शुरू कर दी है. मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख और पूर्व सीएम कमलनाथ ने पार्टी विधायकों को शपथ दिलवाई है.
उन्होंने विधायकों से कांग्रेस पार्टी में ही रहने की शपथ ली है कि ‘वादा करो हमेशा कांग्रेस पार्टी में ही रहोगे.’
विधायकों ने ली शपथ
सिंधिया खेमे के विधायकों के दलबदल कर कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने के बाद ये सिलसिला थमा नहीं है. पहले बड़ा मलहरा से विधायक प्रद्युम्न लोधी और फिर नेपानगर विधायक सुमित्रा कासेडकर के बीजेपी में जाने से कांग्रेस में घबराहट का माहौल है.
ऐसे में विधायक दल की बैठक में पूर्व सीएम कमलनाथ ने विधायकों को पार्टी में ही रहने की शपथ दिलाई. पीसीसी चीफ कमलनाथ ने विधायकों से कहा अब कोई भी पार्टी से नहीं टूटेगा. पूरी शिद्दत से कांग्रेस सरकार की वापसी में एकजुटता से सारे विधायक जुटेंगे.
सभी को कांग्रेस को मजबूत करने की दिशा में काम करना होगा. अपने चीफ के कहे अनुसार सभी विधायकों ने हाथ ऊपर कर कांग्रेस में रहने की शपथ ली.उपचुनाव से पहले कांग्रेस खेमे के विधायक पाला बदल रहे हैं.
हाल ही में कांग्रेस छोड़कर प्रद्युम्न लोधी और सुमित्रा कासेडकर ने भाजपा की सदस्यता ली है. विधायकों के कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस अब डैमेज कंट्रोल करने में जुटी हुई है.
यही वजह है कि पूर्व सीएम कमलनाथ ने कांग्रेस विधायकों की बैठक बुलाई. इसमें विधायकों की मन की थाह लेने की कोशिश की गई. पूर्व सीएम कमलनाथ ने विधायकों से वन-टू-वन चर्चा की.
पूर्व सीएम ने विधायकों से कहा कि भाजपा के छलावे में मत आना. भाजपा के पद और पैसे के लालच में किसी को नहीं आना चाहिए. कांग्रेस विधायकों से संपर्क करने वाले सभी भाजपा नेताओं के नाम उजागर करेगी.
पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा- मेरा उद्देश्य सिर्फ कांग्रेस पार्टी को मजबूत करना है. इसीलिए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद फैसला किया कि मैं आप लोगों के बीच रहूंगा
और जनता के बीच भाजपा सरकार के धोखे को पहुंचाया जाएगा. छिंदवाड़ा तक नहीं गया और 24 विधानसभा सीटों के उपचुनाव की रूपरेखा बनाना शुरू कर दिया. कमलनाथ ने सभी विधायकों से कहा कि आप सभी हौसला बनाए रखें.
कांग्रेस ने 1977 का दौर भी देखा. उसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, उनको हराकर सोनिया गांधी ने धमाकेदार वापसी की थी. कांग्रेस विधायकों को निराश नहीं होना है, बल्कि जीत के लिए मजबूती से आगे बढ़ना है.