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2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटीं मायावती

बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं. इस सिलसिले में उन्‍होंने संगठनात्‍मक स्‍तर पर कई फेरबदल किया है.

उन्‍होंने बड़ा प्रयोग करते हुए पार्टी के मूल संगठनों में ब्राह्मण और अपर कास्‍ट की अन्‍य जातियों से जुड़े लोगों को मूल संगठन में बड़ी जिम्‍मेदारी देने का फैसला किया है.

इसके साथ ही बसपा की सभी भाईचारा कमेटियों को भी भंग कर दिया गया है. मायावती ने ब्राह्मण, क्षत्रिय पिछड़ी जाति भाईचारा कमेटी को भंग कर दिया है.

भाईचारा कमेटी में शामिल रहे ब्राह्मण, क्षत्रिय, पिछड़ा और मुस्लिम नेताओं को मूल संगठन में जिम्‍मेदारी दी गई है. दिलचस्‍प है कि बसपा के मूल संगठन में इससे पहले दलित नेताओं को ही जिम्‍मेदारी मिलती थी.

ऐसे में मायावती पर अन्‍य जातियों को तरजीह न देने का आरोप भी लग रहा था. इसे देखते हुए मायावती विधानसभा चुनावों में किसी भी जाति को नाराज न करने की नीति के तहत यह कदम उठाया है.

दरअसल, बहुजन समाज पार्टी दलित, ओबीसी और पिछड़ी जातियों की पार्टी मानी जाती है. हालांकि, इसमें अपर कास्ट के नेताओं की संख्या भी काफी हैं. खासकर अपर कास्ट में ब्राह्मण जाति के कई बड़े नेता बसपा में हैं

लेकिन पिछले दो लोकसभा और एक विधानसभा के चुनावी नतीजों पर नजर डालें तो बसपा का प्रदर्शन काफी खराब रहा है. 2014 के लोकसभा चुनाव में तो बसपा का खता भी नहीं खुल पाया था.

वहीं, 2017 के विधानसभा चुनाव में भी मायावती की पार्टी का काफी खराब प्रदर्शन रहा था. बसपा को महज 19 सीटें ही मिली थीं. इसके साथ ही उसके मत प्रतिशत में काफी गिरवाट आई थी.

वहीं, 2019 का लोकसभा चुनाव उन्होंने सपा के साथ गठबंधन में लड़ा था. इस चुनाव में मायावती को कफी फायादा हुआ था और उनके 10 सांसद चुनाव जीत कर दिल्ली पहुंचे.

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में साल 2022 में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. अभी बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में है. मायावती के सामने चिंता की बात यह है कि उनके परंपरागत वोटर्स में भाजपा ने सेंधमारी कर दी है.

ऐसे में मायावती की निगाहें अब अपर कास्ट पर टिकी हैं, ताकि वोट प्रतिशत का बैलेंस बनाकर रखा जा सके. यही कारण है कि उन्होंने मूल संगठन में अपर कास्ट के नेताओं को भी जिम्मेदारी दी है.

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