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जबलपुर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने कृमि की दवा से कोरोना ठीक करने का किया दावा

एक तरह जहां COVID-19 की दवा के लिए दुनियाभर में प्रयोग जारी हैं, वहीं मध्य प्रदेश के जबलपुर में डॉक्टरों ने कोरोना के कम लक्षणों वाले मरीजों को अपने अनोखे प्रयोग से ठीक करने का दावा किया है.

यहां के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में एक ऐसा प्रयोग किया है जो संकट काल में एक बड़ा हथियार बन सकता है.

मेडिकल कॉलेज की टीम ने कोरोना पॉजिटिव मरीजों को पेट के कीड़े मारने की दवा देना शुरू किया. इसके जो परिणाम सामने आए वह चौंकाने वाले थे.

डॉक्टरों का कहना है कि हालांकि Corona के गंभीर मरीजों पर इस दवा का असर नहीं हुआ, लेकिन हल्के लक्षणों वाले 150 मरीज इस दवा के प्रयोग से स्वस्थ हो चुके हैं.

कोरोना आइसोलेशन अस्पताल के प्रभारी डॉ. संजय भारती का कहना है कि शुरुआत में हमने कुछ पॉजिटिव मरीजों को आइवरमेक्टिन दवा का डोज देना शुरू किया. ये वही दवा है जो बच्चों को अक्सर पेट की कृमि यानी कीड़े मारने के लिए दी जाती है.

दवा ने कोरोना पॉजिटिव मरीजों पर गजब का असर किया और मरीज 5 से 6 दिन में ही कोरोना नेगेटिव हो गया. दवा के अच्छे परिणाम देखते हुए सभी मरीजों को देना शुरू किया और आज 150 से ज्यादा मरीज स्वस्थ हो चुके हैं.

डॉक्टरों का कहना है यह दवा माइल्ड कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए ज्यादा कारगर साबित हो रही है. क्योंकि शुरुआती दौर में अगर यह दवा दी जाती है तो मरीज जल्दी रिकवर करता है और उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आती है.

अति गंभीर मरीजों पर दवा का असर कम दिखाई दे रहा है. अभी तक कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के दौरान हाई फ्लो ऑक्सीजन, स्टेरॉयड, विटामिन सी व जिंक का डोज दिया जा रहा है. इसके अलावा अन्य लक्षणों के आधार पर दवाएं मरीजों को दी जा रही हैं.

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