लखनऊ के नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी पर लगा भ्रष्टाचार का आरोप संयुक्ता भाटिया ने की जांच की सिफारिश
उत्तर प्रदेश के लखनऊ नगर निगम में हुए भ्रष्टाचार और उसमें नगर आयुक्त की भूमिका पर संदेह जताते हुए महापौर संयुक्ता भाटिया ने आला अधिकारियों की ईओडब्ल्यू और सतर्कता विभाग से जांच की सिफारिश कर दी है.
महापौर ने इस संबंध में शासन को गोपनीय पत्र भेजकर नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी और चीफ इंजीनियर के खिलाफ भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति की जांच की सिफारिश की है.
इस संबंध में उन्होंने प्रमुख सचिव, लखनऊ के प्रभारी मंत्री, नगर विकास मंत्री और मुख्यमंत्री तक को पत्र भेजा है.
पत्र के मुताबिक नगर निगम के आला अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों के नाम बड़े पैमाने पर बेनामी संपत्तियां खरीद रखी हैं.
इसके अलावा अधिकारी अपने रिश्तेदारों और चहेतों को टेंडर दिलाने का काम करते हैं लेकिन टेंडर न मिलने पर टेंडर तक निरस्त कर देने की शिकायतें हुई हैं.
इस मामले में विरोध करने वालों की जांच कराकर फंसाने की कोशिश करने जैसी शिकायतों का हवाला देते हुए सतर्कता जांच की मांग की है.
महापौर की ओर से लिखे गोपनीय पत्र के मुताबिक तेलीबाग निवासी शिकायतकर्ता ने प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए 28 जून को नगर आयुक्त और मुख्य अभियंता पर लूटपाट, भ्रष्टाचार,
काले धन को ठिकाने लगाने के लिए बेनामी संपत्ति संग्रह को लेकर शिकायती पत्र लिखा था. शिकायतकर्ता ने पत्र के अलावा कई प्रपत्र और ऑडियो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध कराई है, जिसके आधार पर सतर्कता जांच निष्पक्ष कराने की मांग की गई है.
शिकायतकर्ता ने अपने पत्र में विभाग में पहले भी हो चुके भ्रष्टाचार मामले में 81 लाख रुपये की रिकवरी का भी हवाला दिया है.
बता दें कि इससे पहले भी महापौर नगर आयुक्त लखनऊ व अध्यक्ष उत्तर प्रदेश पीसीएस एसोसिएशन डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी के खिलाफ शासन को पत्र लिख चुकी हैं.
महापौर ने कोविड-19 के दौरान सैनिटाइजेशन के नाम पर हुए भ्रष्टाचार पर भी आपत्ति जताते हुए नगर आयुक्त इन्द्रमणि त्रिपाठी को एक पत्र भी लिखा था.
महापौर ने अपने पत्र में आरोप लगाया था कि राजधानी के कोरोना हॉटस्पाट इलाकों में सैनिटाइजेशन के नाम पर भ्रष्टाचार कर लाखों रुपए हजम किए जा रहे हैं.
इस पर उन्होंने जांच की अपील करते हुए दोषियों पर सख्त कार्यवही के निर्देश भी दिए थे. हालांकि नगर आयुक्त ने महापौर के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए बेबुनियाद बताया.