पंजाब पुलिस :अवैध शराब बिक्री के मामले में दो कारोबारियों समेत 12 लोग गिरफ्तार
पंजाब में जहरीली शराब पीने से छह और लोगों की मौत के साथ ही राज्य में इस त्रासदी में मरने वालों की संख्या बढ़कर 110 हो गई. तरन तारन में तीन की लोगों की मौत हुई, गुरदासपुर के बटाला में दो की और अमृतसर में एक व्यक्ति की मौत हुई.
बुधवार शाम से जारी इस त्रासदी में अब तक तरनतारन जिले में सबसे अधिक 83 लोगों की मौत हुई है. वहीं, गुरदासपुर के बटाला में 14 और अमृतसर में 13 लोगों की जान गई है.
तरनतारन जिले के उपायुक्त कुलवंत सिंह ने कहा कि दो लोगों की हालत नाजुक है जबकि आठ अन्य की हालत स्थिर है. गुरदासपुर के उपायुक्त मोहम्मद इशफाक ने कहा कि रविवार को एक व्यक्ति की मौत हुई
सोमवार दोपहर को भी एक व्यक्ति की जान चली गई. अमृतसर के उपायुक्त जीएस खैरा ने कहा कि रविवार रात को एक व्यक्ति की मौत के बाद जिले में इस त्रासदी के कारण जान गंवाने वालों की संख्या 13 हो गई.
इस बीच, पंजाब पुलिस ने अवैध शराब बिक्री के मामले में दो कारोबारियों समेत 12 और लोगों को गिरफ्तार किया है. अब तक पुलिस इस संबंध में 37 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है.
पुलिस महानिदेशक दिनकर गुप्ता ने कहा कि लुधियाना में पेंट की दुकान चलाने वाले कारोबारी समेत आठ अन्य आरोपियों की धरपकड़ के लिए तलाशी अभियान चलाया गया. इस कारोबारी के बारे में माना जाता है कि यह अवैध शराब बिक्री का प्रमुख साजिशकर्ता है.
वहीं, पंजाब में जहरीली शराब कांड को लेकर कांग्रेस के दो सांसदों ने राज्य में पार्टी नीत सरकार पर सोमवार को निशाना साधा और शराब की ‘‘अवैध’’ बिक्री की सीबीआई एवं ईडी से जांच कराने के लिये राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा. राज्य सभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह ढुलो ने राज्य प्रशासन पर स्पष्ट रूप से नाकाम रहने का आरोप लगाया
और दावा किया कि यदि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने अवैध शराब के कारोबार की शिकायतों पर समय रहते कार्रवाई की होती, तो यह घटना टल सकती थी.
राज्यपाल वी पी सिंह बदनौर से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता बाजवा ने कहा कि उन्होंने राज्य में शराब की कथित अवैध बिक्री की सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच कराने की मांग की है.
इस बीच, बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव तरुण चुघ ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए उसे पूरे मामले के लिए जिम्मेदार ठहराया है. राज्य सरकार की ओर से दिए गए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश पर असंतोष जताते हुए चुघ ने उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश से मामले की जांच कराने की मांग की. उन्होंने बटाला में पीड़ितों के परिजन से मुलाकात भी की.
चुघ ने बटाला में कहा, ‘दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय सरकार त्रासदी का इंतजार करती रही.’ वहीं, युवा अकाली दल के कार्यकर्ताओं ने तरनतारन में सरकार के खिलाफ धरना दिया.
धरने का नेतृत्व कर रहे युवा अकाली दल के प्रमुख परमबंस सिंह रोमाना ने आरोप लगाया कि कुछ कांग्रेस विधायक ‘शराब के अवैध कारोबार को संरक्षण दे रहे थे.’
उन्होंने कहा, ‘ हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह ध्यान दे अथवा हमें विधायकों के साथ-साथ मुख्यमंत्री के खिलाफ भी आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.’
इस बीच, पंजाब के खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढी ने त्रासदी के लिए राज्य सरकार पर लगाए जा रहे आरोपों को लेकर अकाली दल पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनके शासन काल में भी साल 2012 और 2016 में क्रमश: गुरदासपुर और बटाला में ऐसे ही घटनाएं हुई थीं.
सोढी ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि बटाला मामले में तो एक भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई थी और ना ही मुख्य आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई.