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आतंकवादियों का सफाया कर चुके CRPF के नरेश कुमार को 7वीं बार चुना गया वीरता पुरस्कार के लिए….

सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट 35 साल के नरेश कुमार एक बार फिर वीरता पुरस्कार के लिए चुने गए हैं। यह उनका 7वां पदक है। जम्मू-कश्मीर में पदस्थ नरेश कुमार 55 से अधिक दुर्दांत आतंकवादियों का सफाया कर चुके हैं। इसी तरह दिल्ली में 2008 में बाटला हाउस मुठभेड़ में शहीद हुए दिल्ली पुलिस के निरीक्षक मोहन चंद शर्मा को भी मरणोपरांत सातवीं बार वीरता पदक दिया गया है।

जम्मू-कश्मीर पुलिस के हेड काॅन्सटेबल अब्दुल रशीद कलस को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है। आजादी की पूर्व संध्या पर 87 सैनिकों को भी वीरता पुरस्कारों से नवाजा गया है। घाटी में आतंक का पूरी तरह से सफाया करने वाले ऐसे ही दो वीर जांबाज की कहानी…

आतंकी चाहे सीआरपीएफ की वर्दी में आएं या पीठ पीछे हमला करें, उनकी मौत तो तय है…

नरेश कुमार को बहादुरी का जो पदक मिला है, वह 3 अक्टूबर 2017 की घटना से जुड़ा है। जैश-ए-मोहम्मद के 3 आतंकियों ने श्रीनगर एयरपोर्ट के पास सुरक्षा बल के कैंप पर तड़के 3 बजे फायरिंग शुरू कर दी। सीआरपीएफ की वेली क्यूएटी ने तुरंत चारों तरफ से मोर्चाबंदी कर दी। हैवी फायरिंग, टीयर गैस और हैंड ग्रेनेड का इस्तेमाल कर टीम ने आतंकियों को बाहर निकाला।

आतंकियों ने सीआरपीएफ की वर्दी पहन रखी थी। तीन आतंकवादी मारे गए। नरेश बताते हैं कि कई मौके आए जब गोलियां कान के पास से गुजरीं, लेकिन अब देश की रक्षा के सामने गोलियों का खौफ नहीं लगता। अब एक ही इच्छा है- ‘घाटी से आतंकियों का हर हाल में सफाया करना है। चाहे वे वर्दी की आड़ में आएं या पीठ पीछे हमला करें, नतीजा होगा- उनकी मौत।’ नरेश एनएसजी के कमांडो भी रह चुके हैं।

पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड गाज़ी को मार गिराया था हेड कांस्टेबल अब्दुल रशीद ने

पुल‍वामा आतंकी हमले में 40 जवानों की मौत के बाद 18 फरवरी 2019 को पुलवामा के पिंजन में चले सेना के ऑपरेशन में 3 आत‍ंकियों को मार गिराया गया। मुठभेड़ में सेना के एक मेजर सहित 5 जवान शहीद हो गए थे। शहीद होने वालों में जम्मू-कश्मीर पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल अब्दुल रशीद कलस भी शामिल थे। रशीद ने 12 घंटे तक चली मुठभेड़ में पुलवामा हमले के मास्टर माइंड अब्दुल रशीद गाज़ी और उसके साथी को मार गिराया।

वे पहले से ही जैश आतंकियों के निशाने पर थे। 30 साल के रशीद ने ऑपरेशन के दौरान गाजी और उनके साथियों का 3 किमी तक पीछा कर ऑपरेशन टीम को अलर्ट कर दिया था। आतंकियों की घेरेबंदी के बाद खुद फ्रंट मोर्चे पर डटे रहे और गाजी को मार गिराया। वे 2008 में जम्मू-कश्मीर पुलिस में भर्ती हुए थे। उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है।

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