कांग्रेस की राष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) में उत्तराखंड को अहम प्रतिनिधित्व मिला है। कांग्रेस की बागडोर थामने के बाद राहुल गांधी की ओर से गठित 23 सदस्यीय सीडब्ल्यूसी में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को जगह मिली है। एनडी तिवारी के बाद हरीश रावत ऐसे दूसरे नेता हैं, जिन्हें यह अहम जिम्मेदारी दी गई। पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाने के साथ ही असम का प्रभारी भी बनाया है। उधर, हरीश रावत को यह अहम जिम्मेदारी मिलने से प्रदेश में कांग्रेस के नेताओं में खुशी की लहर है।
सीडब्ल्यूसी में उत्तराखंड को काफी लंबे समय बाद जगह मिली है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का महासचिव नियुक्त करने के साथ ही उन्हें वरिष्ठ कांग्रेस नेता सीपी जोशी के स्थान पर असम का प्रभारी भी बनाया है।
यही नहीं, राहुल ने हरीश रावत को अपने और वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के साथ शीर्ष केंद्रीय इकाई सीडब्ल्यूसी में भी बतौर सदस्य साथ रखा है। सीडब्ल्यूसी के सदस्यों में पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह भी शामिल हैं।
उधर, राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के भीतर हरीश रावत का कद बढ़ने के सियासी मायने भी निकाले जाने लगे हैं। राष्ट्रीय राजनीति में उत्तराखंड का दखल बढ़ना तय माना जा रहा है। अगले वर्ष लोकसभा चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस के भीतर हुए इस बदलाव को उत्तराखंड के सियासी नजरिये से भी अहम माना जा रहा है।
रावत की सियासी हैसियत में हुआ ये इजाफा
वर्ष 2019 की चुनौती से अहम साबित हो सकता है। राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के भीतर नीति निर्धारण में उनकी अहमियत बढ़ी है। अलबत्ता, राज्य की सियासत में उनका दखल भले ही रहे, लेकिन अब सीधे हस्तक्षेप और सक्रियता को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर मिली बड़ी जिम्मेदारी आड़े भी आ सकती है।
गौरतलब है कि बीते दिनों नई दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात को गए राज्य के प्रतिनिधिमंडल में हरीश रावत भी शामिल रहे थे। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मौके पर प्रदेश में पार्टी को मजबूत करने के साथ ही सबको एकजुट रहने की नसीहत भी दी थी। राहुल ने हरीश रावत को बड़ी भूमिका देकर यह भी संकेत देने की कोशिश की है कि राज्य की कांग्रेस इकाई पर उनकी पूरी निगाह बनी हुई है।