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भारतीय रेलवे : 44 नए वंदे भारत ट्रेन सेट रेक के टेंडर को किया रद्द

भारतीय रेलवे ने 44 नए वंदे भारत ट्रेन सेट रेक के टेंडर को रद्द कर दिया है. अगले एक हफ्ते में नया टेंडर जारी किया जाएगा. वजह है ‘मेक इन इंडिया’ को प्राथमिकता में लाना. अब नए टेंडर के नियम बदले जाएंगे.

टेंडर रद्द करने का कारण मेक इन इंडिया को गति देना ही है लेकिन यहां एक प्रत्यक्ष कारण चीन की कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाना ही अधिक है. टेंडर रद्द करके अब जब मेक इन इंडिया को ध्यान में रखते हुए इस बड़े टेंडर को नए सिरे से निकाला जाएगा तो उसके नियम भी ऐसे होंगे जिससे कोई चाइनीज कंपनी चाहकर भी बिड नहीं कर पाएगी.

फिलहाल ये नियम सिर्फ वंदे भारत एक्सप्रेस के 44 नए ट्रेन सेटों को बनाने के टेंडर पर ही लागू होगा. वैसे भी रद्द किए गए टेंडर में सिर्फ एक ही विदेशी कंपनी ने बिड किया था और वो चीन की थी.

दरअसल, भारतीय रेल के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस यानी सेमी हाई स्पीड ट्रेनें लाना एक बड़े सपने की तरह है. रेलवे को उम्मीद थी कि दूसरे कई विकसित देशों की रेल कंपनियां टेंडर में बिड करेंगी जिससे ट्रेन की क्वालिटी और बेहतर हो सकेगी. इसीलिए रेलवे ने इसका ‘ग्लोबल टेंडर’ निकाला.

लेकिन टेंडर में ‘बचत’ की गुंजाइश कम देखकर चीन के अलावा किसी कंपनी ने हिस्सा नहीं लिया. लेकिन चीन की कंपनी सीआरआरसी ने बिड कर दिया. अब चीन को आर्थिक मोर्चे पर सबक सिखाने पर आमादा भारत सरकार ने सीआरआरसी को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए टेंडर ही रद्द कर दिया है.

आईसीएफ यानी इंटिग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई भारतीय रेलवे का अभिन्न हिस्सा है. आईसीएफ चेन्नई ने 44 हाई स्पीड ट्रेन सेट रेक के लिए ग्लोबल टेंडर जारी किया था जिसमें सिर्फ सीआरआरसी ही एक मात्र विदेशी कंपनी थी जिसनें टेंडर में हिस्सा लिया था. कुल 6 कम्पनियों ने टेंडर में हिस्सा लिया था लेकिन बाकी पांचों कंपनियां भारतीय हैं.

देश में पहली वंदे भारत एक्सप्रेस का लोकार्पण प्रधानमंत्री मोदी ने 15 फरवरी 2019 को नई दिल्ली से वाराणासी के लिए किया था. दूसरी वंदे भारत एक्सप्रेस नई दिल्ली से कटरा के बीच चलती है.

इसका नाम पहले टी-18 था. इसे आईसीएफ चेन्नई ने बनाया था. ये दोनों ट्रेन सेट सौ प्रतिशत मेक इन इंडिया हैं. आईसीएफ ने प्रत्येक वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन सेट को महज 97 करोड़ में बनाया था. इसे 18 महीनों के भीतर ही डिजाइन करके पटरी पर उतार दिया गया था.

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