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मेरठ : शिक्षिका सारिका गोयल को शिक्षक दिवस पर राज्य पुरस्कार से होंगी सम्मानित

मेरठ की शिक्षिका सारिका गोयल को प्राइमरी स्कूल की दशा और दिशा बदलने के लिए राज्यस्तरीय पुरस्कार से नवाज़ा जा रहा है. सारिका गोयल ने मेरठ के भूडबराल प्राथमिक विद्यालय को एक कॉन्वेंट स्कूल की तर्ज़ पर डेवलप किया है. जिसकी प्रसंसा इलाके से लेकर शिक्षा विभाग तक हो रही है.

बता दें कि सारिका गोयल आदर्श प्राथमिक विद्यालय में बतौर प्रिंसिपल कार्यरत हैं. शिक्षा के क्षेत्र में तकरीबन 33 वर्षों का अनुभव रखने वाली सारिका जब यहां शिक्षण के लिए आईं तो यहां की हालत बेहद दयनीय थी. सारिका ने इस स्कूल की दशा बदलने की ठानी और देखते ही देखते इस स्कूल ने कामयाबी की ऐसी इबारत लिखी कि आज इस स्कूल के चर्चे दूर-दूर तक हैं. लोग इस प्राथमिक विद्यालय को आदर्श विद्यालय की संज्ञा देते हैं.

आमतौर पर किसी भी प्राथमिक स्कूल की तस्वीर जब हम अपने ज़हन में सोचते हैं तो ज़मीन पर बैठे हुए बच्चे, जर्जर इमारत और जैसे-तैसे शिक्षण कार्य करते टीचर ही नज़र आते हैं लेकिन इस स्कूल के अंदर दाखिल होते ही आपको लगेगा कि आप किसी कॉन्वेंट स्कूल में आ गए हों. यहां स्कूल के अंदर दाखिल होते ही सबसे पहले पुस्तकालय दिखता है. किसी भी प्राथमिक स्कूल में लाइब्रेरी होना बड़ी बात है लेकिन यहां मैडम ने सबसे पहले स्कूल में लाइब्रेरी की शुरुआत की. फिर बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया. उनके अभिभावकों को प्रेरित किया कि वो अपने बच्चों को स्कूल भेजें. ख़ासतौर से बालिका शिक्षिका पर मैडम ने ख़ास ध्यान दिया.

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सारिका गोयल बताती हैं कि वो अपने स्कूल में पढ़ने वाले हर बच्चे के घर गई हैं. कभी कभी तो ऐसा हुआ है कि माता पिता ने बच्चे को स्कूल भेजना ही बंद कर दिया लेकिन मैडम ने हिम्मत नहीं हारीं. वो घर जाकर उनके अभिभावकों से मिलीं. उन्हें प्रेरित किया कि वो अपनी बिटिया को स्कूल ज़रुर भेजें. बेटी पढ़ेगी, बेटी बढ़ेगी के अभियान का मैडम सारिका गोयल ने अक्षरश: पालन किया. उसी का नतीज़ा है कि आज इस स्कूल में बच्चों की संख्या कई गुणा बढ़ गई है. अब इस स्कूल में दाखिला पाकर बच्चे और उनके अभिभावक भी खु़श होते हैं कि उनका बेटा या बेटी ऐसे स्कूल में पढ़ रहा है जो उनकी नींव मज़बूत कर रहा है.

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वहीं, जब भी प्राइमरी स्कूल की बात की जाती है निजी स्कूलों के आगे वो बौने साबित होते हैं. प्रदेश में कुछ स्कूल तो ऐसे हैं, जहां टीचर ज्यादा बच्चे कम हैं लेकिन मेरठ की एक ऐसी प्राइमरी टीचर, जिसने ये ठान लिया कि वो जहां भी पढ़ायेगी, वहां आस-पास का कोई भी बच्चा, कोई बेटी शिक्षा से वंचित नही रहेगी और उन्होंने गांव-गांव, घर-घर जाकर लोगों से बात की और उन्हें बताया कि जीवन में शिक्षा ही सब कुछ है. शिक्षा से ज्ञान का विकास होता है.

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