लोकसभा ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर की आधिकारिक भाषा संबंधी विधेयक किया पारित
लोकसभा ने मंगलवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर की आधिकारिक भाषा संबंधी विधेयक पारित कर दिया। इसमें पहले से ही आधिकारिक भाषा उर्दू और अंग्रेजी के अलावा कश्मीरी, डोगरी और हिंदी को भी यह दर्जा दिया गया है। इस विधेयक में उपराज्यपाल को गोजरी, पहाड़ी तथा पंजाबी भाषा के विकास एवं उसे सशक्त बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने का अधिकार दिया गया है।
जम्मू एवं कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक 2020 पेश करते हुए गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर के लोगों की मांग थी कि जो भाषा वे बोलते हैं, उसे आधिकारिक भाषा बनाया जाए। राज्यमंत्री ने उल्लेख किया कि जम्मू एवं कश्मीर की 53.26 फीसद आबादी कश्मीरी भाषा बोलती है।
गृह मंत्री अमित शाह ने स्वागत करते हुए जम्मू एवं कश्मीर आधिकारिक भाषा (संशोधन) विधेयक पारित किए जाने को केंद्र शासित प्रदेश की जनता के लिए यादगार दिवस करार दिया।
रेड्डी ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश की 26.64 फीसद आबादी डोगरी बोलती है, जबकि वर्तमान में आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त उर्दू केवल 0.16 फीसद आबादी ही बोलती है। पिछले 70 साल से उर्दू को आधिकारिक भाषा का दर्जा हासिल रहा। उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश की 2.36 फीसद आबादी हिंदी बोलती है।
लोकसभा से तीन श्रम विधेयक पारित
नए कानून के तहत सभी प्रवासी श्रमिकों को साल में एक बार अपने मूल निवास पर जाने के लिए सरकार की तरफ से सुविधा मुहैया कराई जाएगी। अपनी इच्छा से महिला श्रमिक रात की पाली में भी काम कर सकेंगी। फिक्स्ड टर्म स्टाफ को भी स्थायी श्रमिकों की तरह सारी सुविधाएं मिलेंगी। यहां तक कि एक साल के कांट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारी को ग्रेच्युटी जैसी सुविधा भी मिलेगी। अभी कम से कम पांच साल काम करने पर ही ग्रेच्युटी का लाभ मिलता है। उद्यमियों को यूनिट चलाने के लिए अब सिर्फ एक पंजीयन कराना होगा। अभी उन्हें छह प्रकार का पंजीयन कराना होता है। उसी प्रकार से उद्यमियों को सभी प्रकार के श्रम संबंधी संहिता के पालन को लेकर सिर्फ एक रिटर्न दाखिल करना होगा। अभी आठ प्रकार के रिटर्न दाखिल करने पड़ते हैं। श्रम इंस्पेक्टर बिना बताए यूनिट के निरीक्षण के लिए नहीं जाएंगे।