मोदी सरकार ने किसानों के हित के लिए एक के बाद एक ठोस कदम उठाए: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर
विपक्ष के भारी हंगामे के बावजूद कृषि संबंधित तीन विधेयक लोकसभा और राज्यसभा से पास हो गए हैं। विपक्ष इसे किसान विरोधी बताकर प्रचारित कर रही है। वहीं सरकार का कहना है कि ये उनके हित में है और इसे लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। इसी मसले पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को समाचार एजेंसी को साक्षात्कार दिया। जिसमें उन्होंने विधेयक को लेकर चर्चा की और विपक्ष से पूछा कि उन्होंने अपने घोषणापत्र में एपीएमसी कानून मे बदलाव करने की बात क्यों कही थी।
कृषि मंत्री ने अध्यादेश लाने की आवश्यकता पर कहा कि किसानों के हित में एक के बाद एक कई कदम उठाए गए लेकिन इन सबके बावजूद जब तक कानूनों में बदलाव नहीं होता तब तक किसान के बारे में हम जो उन्नति का सोच रहे थे वो संभव नहीं थी इसलिए भारत सरकार ने दो अध्यादेश बनाए जिनको अब जारी कर दिया गया है। कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 और दूसरा कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020। ये दोनों विधेयक निश्चित रूप से किसान को जो एपीएमसी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था उससे आजाद करने वाले हैं।
नरेंद्र तोमर ने किसानों से कहा कि आप इन विधेयकों को कार्यान्वित होने दीजिए निश्चित रूप से आपके जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि हमारा जो विधेयक है वो किसान को मंडी के बाहर किसी भी स्थान से किसी भी स्थान पर अपनी मर्जी के भाव पर अपना उत्पाद बेचने की स्वतंत्रता देता है।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘मैं पंजाब के मुख्यमंत्री से पूछना चाहता हूं कि आपने चुनाव के समय अपने घोषणापत्र में क्यों कहा था कि आप एपीएमसी कानून को बदल देंगे, टैक्स को खत्म कर देंगे और अंतरराज्यीय व्यापार को बढ़ावा देंगे। कांग्रेस अपने नेशनल घोषणापत्र में भी ये बात रखती है और राज्य घोषणापत्र में भी। कांग्रेस का कोई भी नेता चाहे वो केंद्र का हो या राज्य का हो उसे पहले ये बोलना चाहिए कि हमने जो घोषणा अपने घोषणापत्र में की थी अब हम उससे पलट रहे हैं तो मैं उनकी दलील सुनने को तैयार हूं।’
कांग्रेस द्वारा बिलों को काला कानून कहने पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि कांग्रेस का नेतृत्व बौना हो गया है…कांग्रेस में जो अच्छे लोग हैं उनकी पूछ समाप्त हो गई है। जिन लोगों के हाथ में नेतृत्व है उनकी कोई हैसियत देश में बची नहीं है। उनकी अपनी पार्टी उनकी बात नहीं मानती है वे राष्ट्र को गुमराह करने के लिए आधारहीन तर्क दे रहे हैं। राज्यसभा ने 4 घंटे से अधिक समय तक कृषि विधेयकों पर चर्चा की जिसके बाद मुझे जवाब देना पड़ा लेकिन कांग्रेस ने अलोकतांत्रिक तरीके से हंगामा खड़ा किया। उन्होंने उपसभापति के साथ दुर्व्यवहार किया और कार्यवाही बाधित की। दोनों सदनों में, किसी भी विपक्षी सदस्य ने विधेयकों की बात नहीं की, यह केवल राजनीति थी।