बजट ही नहीं, कैसे बनेंगे बैडमिंटन कोर्ट:-
सिटी के किसी भी गवर्नमेंट स्कूल में नहीं है प्रॉपर कोर्ट
-फिलहाल रेंट पर कोर्ट लेकर आयोजित होते हैं बैडमिंटन टूर्नामेंट
हम चाहते हैं कि हमारे स्कूलों से पुलेला गोपीचंद, साइना नेहवाल, पीवी सिंधु और पी कश्यप जैसे बैडमिंटन खिलाड़ी निकलें। लेकिन स्पोर्ट्स के लिए बेसिक स्ट्रक्चर और फैसिलिटीज यहां मौजूद ही नहीं है। पिछले दिनों कमिश्नर ने मीटिंग के दौरान स्पोर्ट्स एक्टिविटी को प्रमोट करने के निर्देश दिए थे। मीटिंग के दौरान अर्जुन अवार्डी अभिन्न श्याम गुप्ता ने स्कूलों में बैडमिंटन को प्रमोट करने के लिए सुझाव दिए। कमिश्नर प्रयागराज ने भी इसे स्वीकार किया। लेकिन अगर सिटी के गवर्नमेंट स्कूलों में बैडमिंटन के लिए बेसिक सुविधाओं पर नजर डालें तो यह न के बराबर हैं।
सिटी के एडेड माध्यमिक व गवर्नमेंट स्कूलों में बैडमिंटन कोर्ट बनाने और खेल से जुड़ी सुविधाओं के लिए अच्छे-खासे बजट की जरूरी होगी। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने इस सिलसिले में यूपी स्कूल टीम के कोच और सेलेक्टर एम लार्टियस से बात की। एम लार्टियस ने बताया कि सिटी के किसी भी स्कूल में बैडमिंटन कोर्ट की सुविधा उपलब्ध नहीं है। जहां तक कोर्ट तैयार करने की बात है तो स्कूलों के पास इसके लिए कोई बजट ही नहीं है। ऐसे में सभी स्कूलों में बैडमिंटन को प्रमोट करने और बच्चों को खेलने की सुविधा उपलब्ध कराने में काफी समय लगेगा।
जहां तक बैडमिंटन की बात है तो कुछ स्कूलों में ब्रिक्स से कोर्ट तैयार किया गया है। लेकिन इससे बात नहीं बनेगी। अगर खिलाड़ी को बेहतर ढंग से तैयार करना है तो फिर इसके लिए अच्छे कोर्ट की जरूरत होगी। बैडमिंटन का एक बढि़या कोर्ट तैयार करने में कम से कम दो से ढाई लाख रुपए का खर्च आएगा। अभी तक जो भी प्रतियोगिताएं होती हैं। इसके लिए म्योहाल स्थित अमिताभ बच्चन स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स या केपी इंटर कॉलेज के पास बने मेजर रणजीत सिंह स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स को रेंट पर लिया जाता है।
इनडोर और सिंथेटिक फ्लोरिंग के साथ बनता है कोर्ट
-बैडमिंटन कोच एम लार्टियस बताते हैं बेहतर बैडमिंटन प्लेयर बनाने के लिए स्टैंडर्ड कोर्ट होना जरूरी है।
-अच्छा कोर्ट तैयार करने के लिए जरूरी है कि उसे धूल, धूप और पानी से बचाया जा सके।
-इसके साथ ही फ्लोर बना हो, जिस पर सिंथेटिक फ्लोरिंग बिछाई गई हो।
इस पर प्रैक्टिस करके ही खिलाड़ी स्टेट या नेशनल लेवल के खिलाड़ी का मुकाबला कर सकेगा।
-सिटी के स्कूलों में इसको लेकर कोई इंतजाम नहीं है।
-एक अच्छे बैडमिंटन कोर्ट के लिए इनडोर में अच्छी हाइट का होना भी बेहद जरूरी है।
-इसके साथ ही कोर्ट के चारों तरफ कम से कम चार मीटर की जगह होनी चाहिए।
-इसके रख-रखाव के लिए भी जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए। जिससे कोर्ट खराब ना हो।
सिटी के किसी भी एडेड या गवर्नमेंट स्कूल के पास स्टैंडर्ड कोर्ट नहीं है। ऐसे में खिलाडि़यों को बेहतर प्रैक्टिस करा पाना पॉसिबल नहीं हो पाता है। अगर शासन की ओर से कोर्ट का इंतजाम किया जाता है तो बैडमिंटन के बेहतर खिलाड़ी तैयार होंगे|
एम लार्टियस
कोच एंड सेलेक्टर, यूपी स्कूल टीम|