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बिना अनुमति सड़क खोदी तो लगेगा जुर्माना:-

अब शहर में सड़क खोदने से पहले नगर निगम से कार्यदायी संस्था को अनुमति लेनी होगी। अनुमति पत्र दिखाने के बाद ही कोई भी कार्यदायी संस्था काम कर सकेगी। इसके लिए नगर आयुक्त निखिल टीकाराम फुंडे द्वारा चीफ इंजीनियर बीएल गुप्ता को नोडल अफसर नामित कर दिया है। शहर में कहीं भी सड़क की खोदाई होगी तो इसके लिए चीफ इंजीनियर की जवाबदेही होगी। बिना अनुमति के सड़क खोदने पर इस बार ये भी निर्देश दिए गए है कि कार्यदायी संस्था पर जुर्माना तो लगेगा ही साथ ही उसका सामान जब्त कर नगर निगम के स्टोर में जमा करा दिया जाएगा।

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ग्रीन गैस पर 3.63 लाख का जुर्माना

मंगलवार रात नगर निगम की टीम द्वारा ग्रीन गैस कंपनी द्वारा बिना अनुमति सड़क की खोदाई करने पर 3.63 लाख का जुर्माना ठोंका गया। इस दौरान नगर निगम की टीम ने कंपनी का सामान भी जब्त कर लिया। बीती रात महíषपुरम क्षेत्र के तुलसीराम इंटर कॉलेज के सामने ग्रीन गैस कंपनी द्वारा सड़क की खोदाई की जा रही थी। उसी दौरान नगर निगम की टीम पहुंच गई। टीम ने अनुमति पत्र दिखाने को कहा, लेकिन वे नहीं दिखा सके।

हर बाद होती है जुर्माने की बात

शहर में रोड कटिंग एक पुराना मुद्दा है। हर बार जुर्माने की बात कही गई थी। शुरुआत में सदन में प्रस्ताव पास होने के बाद कुछ कार्रवाई भी की गई, लेकिन बाद में ये सब ठंडे बस्ते में चला गया। इसके लिए कोई नोडल अफसर नामित नहीं किया गया था। इस बार निर्माण निगम के चीफ इंजीनियर को नोडल अफसर नामित किया गया है।

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इन खामियों की ओर नहीं दिया जाता है ध्यान

– रोड कटिंग को लेकर नगर निगम के पास कोई डाटा बेस जानकारी नहीं है।

– शहर में कितनी संस्थाएं कार्य कर रही है, इनकी कोई सूची तैयार नहीं की गई है।

– जिम्मेदार अफसर कार्यालय छोड़कर फील्ड में निरीक्षण के लिए नहीं निकलते हैं।

– ये भी नहीं देखा जाता है कि रोड कटिंग की जो शर्ते हैं, उनका पालन हो रहा है या नहीं।

-जो भी फर्म या कंपनी रोड कटिंग करेगी। काम पूरा होने के बाद मरम्मत की जिम्मेदारी उसी फर्म की होती है। -पांच वर्ष तक रोड की कटिंग नहीं की जा सकती है, लेकिन यहां तो रोड बनते ही खोद दी जाती है।

-रोड कटिंग की निर्धारित समयावधि में मरम्मत न होने पर 10 फीसदी के हिसाब से प्रतिदिन जुर्माने का प्रावधान जो आज तक नहीं लिया जा सका है।

– रोड कटिंग के समय टेलीफोन लाइन, ब्रांडबैंड लाइन, सीवर लाइन, गैस पाइपलाइन, पानी की पाइपलाइन, आदि की जिम्मेदारी उसी फर्म और संस्था की होती है।

– पाइपलाइन और टेलीफोन लाइन एक से डेढ़ मीटर से अधिक गहराई में नहीं बिछाई जा सकती है।

– रोड कटिंग से पहले जिम्मेदारों को सूचना देनी होती है, लेकिन कोई भी कार्यदायी संस्था सूचना नहीं देती है।

– रोड कटिंग के समय बेरीकेटिंग करते हुए नोटिस बोर्ड लगाना आवश्यक होता है, जबकि ऐसा नहीं होता है।

दुकानदारों के साथ राहगीरों को भी परेशानी

सड़क खोदे जाने से स्थानीय दुकानदारों के साथ राहगीरों को परेशानी होती है। इससे हादसे का खतरा बना रहता हे। बोदला के मनोज ने बताया कि सीवर लाइन डाली गई है। सड़क को खोदा गया है। फिर ऐसे ही छोड़ दिया गया है। सिकंदरा -बोदला रोड पर दो स्थानों पर सड़क खोद दी गई है।

इनको होती है परेशानी

– शहर के कारोबारी

– स्थानीय दुकानदार

– ऑफिस वíकग

सड़क बनाने पर किस विभाग ने कितना खर्च किया

-1.45 करोड़ से पीडब्लयूडी ने सड़कों पर पैचिंग वर्क कराया

-2.25 करोड़ से नगर निगम ने सड़कें दुरुस्त कराईं

-गत वर्ष 73 करोड़ से नगर निगम ने सड़कों पर पैचिंग वर्क कराया था।

– वित्त आयोग से नगर निगम ने अभी हाल ही में 30 करोड़ से सड़क बनाने का प्रस्ताव पास किया था।

-रोड कटिंग में गत महीनों में एक करोड़ का जुर्माना नगर निगम द्वारा वसूला गया है।

अब रोड कटिंग करने से पहले कार्यदायी संस्था को अनुमति लेनी होगी। इसके लिए चीफ इंजीनियर को नोडल अफसर बनाया गया है। इसमें जुर्माने के साथ कार्यदायी संस्था का सामान भी जब्त कर लिया जाएगा।

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