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लाइसेंस चाहिए तो बताना होगा फ्यूल बचाने का तरीका:-

आरटीओ विभाग ने अनिवार्य की फ्यूल एफिशिएंसी ट्रेनिंग

आगामी 20 अक्टूबर से लागू होगी व्यवस्था

गाड़ी चलाते समय रखें इन बातों का खयाल, खर्च होगा कम तेल और बढ़ेगा माइलेज |  auto - News in Hindi - हिंदी न्यूज़, समाचार, लेटेस्ट-ब्रेकिंग न्यूज़ इन  हिंदी

पर्यावरण प्रदूषण और ईंधन की खपत कम करने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय नई व्यवस्था लागू करने जा रहा है। इसके तहत अब भारी वाहनों के चालक को ईधन बचत का विशेष प्रशिक्षण लेना जरूरी होगा और लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय फ्यूल एफिशिएंसी ट्रेनिंग का सर्टिफिकेट वाहन चालकों को दिखाना होगा। इस प्रशिक्षण के आधार पर ही वाहन चालकों को लाइसेंस जारी होगा। लाइसेंस के नवीनीकरण के समय भी यह सर्टिफिकेट जमा करना जरूरी होगा। आरआई राहुल शर्मा ने बताया कि यह नई व्यवस्था के तहत हैवी वाहन चालकों को फ्यूल एफिशिएंसी ट्रेनिंग लेनी अनिवार्य है। इस ट्रेनिंग का सर्टिफिकेट दिखाने के बाद ही लाइसेंस मिलेगा। 20 अक्टूबर से यह व्यवस्था मेरठ आरटीओ में लागू हो जाएगी।

ये होगी स्थिति

फ्यूल एफिशिएंसी ट्रेनिंग में चालकों को ईंधन बचाने की ट्रेनिंग दी जाएगी।

– यह ट्रेनिंग मात्र एक दिन की होगी। लाइसेंस के लिए अनिवार्य अन्य व्यवस्था जैसे एक माह की मोटर ड्राइविंग स्कूल के ट्रेनिंग सर्टिफिकेट के साथ एडिशनल होगा।

चालकों को गाड़ी चलाते समय ईंधन बचाने और पॉल्यूशन को कम करने के लिए जरुरी टिप्स दिए जाएंगे।

– लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय आरआई को सर्टिफिकेट दिखाना होगा।

– चालकों से आरआई कुछ सवाल जवाब कर प्रमाण पत्र की सत्यता की जांच करेगा, इसके बाद लाइसेंस जारी होगा।

जारी करेंगे सर्टिफिकेट

इस व्यवस्था के तहत परिवहन विभाग द्वारा हैवी लाइसेंस के लिए ड्राइविंग ट्रेनिंग सर्टिफिकेट जारी करने वाले मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूलों को ही इस ट्रेनिंग की पावर दी गई है। मेरठ जनपद में 17 मोटर वाहन ट्रेनिंग स्कूल हैं आवेदक इन 17 में से किसी एक स्कूल से भी एक दिन की ट्रेनिंग लेकर प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकता है। संस्थान की ओर से ट्रेनिंग के बाद आवेदन को फ्यूल एफिशिएंसी टेस्ट पास करने का सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इसमें स्कूल संचालकों द्वारा ड्राइवरों को सड़क के अनुरूप वाहन चलाने, इस दौरान एक्सीलेटर, क्लच और ब्रेक का कैसे इस्तेमाल करें, इन सबकी जानकारी दी जाएगी।

20 से लागू होगी व्यवस्था

इस व्यवस्था को मेरठ में 20 अक्टूबर से लागू किया जा रहा है। 20 अक्टूबर तक मोटर ड्राइविंग स्कूल संचालकों को इस ट्रेनिंग के लिए तैयार होने का समय दिया गया है। साथ ही इस ट्रेनिंग के मानक भी स्कूल संचालकों को पूरा करने होंगे। जिसमें सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, प्रशिक्षण के लिए ट्रेनिंग स्कूल या संस्थान को पांच किमी लंबा ट्रेनिंग ट्रैक बनाना होगा। जिसमें कम से कम तीन गति -अवरोधक और तीन बाएं या दाएं मोड़ होंगे उसके बाद ही वह वाहन चालकों को ईंधन बचाने के इस व्यावहारिक प्रशिक्षण दे सकेगा।

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