कोरोना संकट : WHO ने हर्ड इम्यूनिटी की रणनीति को दुनिया के लिए खतरनाक बताया
कोरोना महामारी से दुनिया के 210 से ज्यादा देश जूझ रहे हैं। इससे निपटने के लिए एक तरफ विभिन्न देशों के वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन विकसित करने में लगे हैं तो दूसरी ओर इसकी दवाओं और उपचार के अन्य तरीकों पर भी काम हो रहे हैं। कोरोना से जारी जंग में जिस एक और ‘हथियार’ की चर्चा पिछले 10 महीनों में कई बार हो चुकी है, वह है हर्ड इम्यूनिटी। व्यापक तौर पर टीकाकरण के अलावा इस स्थिति को हासिल होने की दूसरी स्थिति यह है कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा बीमारी से संक्रमित हो जाए। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसको लेकर पहले ही चेतावनी जारी कर दी है। अब दुनियाभरके 80 वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने चेताया है कि यह रणनीति कोरोना के मामले में बहुत जानलेवा साबित हो सकती है।
हेल्थ रिसर्च जर्नल लैंसेट के एक जर्नल में प्रकाशित एक खुले खत के जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के 80 वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने हर्ड इम्यूनिटी को लेकर अपनी राय जाहिर की है। पत्र में लिखा है कि कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए हर्ड इम्यूनिटी की रणनीति अपनाने का विचार वैज्ञानिक प्रमाणों द्वारा असमर्थित है और यह एक खतरनाक सोच है। विशेषज्ञों के मुताबिक, हर्ड इम्यूनिटी की बजाय निर्णायक और तत्काल कार्य करना महत्वपूर्ण है।
लैंसेट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने स्वीकार किया है कि लॉकडाउन, समारोहों पर रोक जैसे मौजूदा प्रतिबंधों से जनता में व्यापक तौर पर कम भरोसा पैदा हुआ है। साथ ही कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के डर से लोगों के अंदर हर्ड इम्यूनिटी को लेकर दिलचस्पी पैदा हुई है। हालांकि सभी वैज्ञानिकों ने इस बात पर जोर दिया है कि कोरोना संक्रमण से प्रतिरक्षा पर निर्भर हर्ड इम्यूनिटी जैसी कोई भी महामारी प्रबंधन रणनीति त्रुटिपूर्ण है।
मालूम हो कि हर्ड इम्यूनिटी वह प्रक्रिया है, जिसमें आबादी के एक बड़े समूह में बीमारी के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता या उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडी बन जाती है। इसे सामूहिक टीकाकरण अभियान के जरिए हासिल किया जाना तो सुरक्षित है, लेकिन दूसरा तरीका खतरनाक है। यानी बड़ी आबादी को बीमारी की चपेट में आने के लिए छोड़ दिया जाना, ताकि बड़ी आबादी के इम्यून हो जाने से बाकी बचे लोग भी सुरक्षित हो जाएं। विशेषज्ञों का कहना है कि हर्ड इम्यूनिटी की बजाय कोरोना वायरस वैक्सीन का इंतजार करना सही होगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी हर्ड इम्यूनिटी की रणनीति को खतरनाक बताया है। डब्ल्यूएचओ ने पोलियो और खसरा बीमारी का उदाहरण देते हुए कहा है कि डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि हर्ड इम्यूनिटी किसी वायरस से इंसान की सुरक्षा करके हासिल की जाती है, ना कि उन्हें जोखिम में डालकर। संगठन का कहना है कि हर्ड इम्यूनिटी एक कॉन्सेप्ट है, जिसका इस्तेमाल टीकाकरण में सही होता है। एक सीमा तक लोगों का टीकाकरण हो जाने के बाद ही पूरी आबादी को बीमारी से बचाया जा सकता है।