म्यांमार को मिली भारत से पहली पनडुब्बी युद्धभ्यास भी हुआ शुरू
म्यांमार को भारत से पहली पनडुब्बी मिल गई है, जिसके बाद म्यांमार-नौसेना ने पनडुब्बी से युद्धभ्यास भी शुरू कर दिया है.गौरतलब है कि चीन भी काफी समय से म्यांमार की नौसेना को पनडुब्बी सप्लाई करने की कोशिश कर रहा था लेकिन इसमे भारत ने बाजी मारते हुए म्यांमार को एक पनडुब्बी आखिकार दे ही दी है. बता दें कि ये म्यांमार की पहली पनडुब्बी है.
बता दें कि पिछले कई दशक से म्यांमार और चीन के बीच काफी नजदीकियां थी. लेकिन पिछले कुछ सालों में भारत और म्यांमार में काफी करीबी संबंध हो गए हैं. यही वजह है कि चीन के मुकाबले बेहद कम पनडुब्बी होने के बावजूद भारत ने अपनी एक किलो-क्लासन पनडुब्बी, सिंधुवीर को म्यांमार को दे दी है.
दोनों देशों के बीच मजबूत सैन्य संबंधों की शुरूआत खासतौर से वर्ष 2015 में हुई जब भारत ने म्यांमार सीमा में घुसकर क्रॉस बॉर्डर रेड की थी और बड़ी संख्या में उग्रवादियों के कैंप सहित उग्रवादियों का सफाया किया था. उसके बाद म्यांमार ने भी भारत से सटी सीमा पर सक्रिय उग्रवादियों पर एक बड़ी कारवाई की थी. उस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार,अजीत डोभाल ने म्यांमार की यात्रा की थी.
इसी महीने की शुरूआत में थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे और विदेशी सचिव हर्ष वी श्रृंगला दो दिनों की म्यांमार दौर पर गए थे. उस दौरान जनरल नरवणे ने म्यांमार के कमांडर इन चीफ को दो बुलेट-प्रूफ जैकेट गिफ्ट के तौर पर दी थीं. दरअसल, भारत म्यांमार को 500 बीपी जैकेट्स भी दे रहा है. इसके अलावा टैंक के गोले, रडार और सोनार तक भी भारत म्यांमार को दे रहा है. इससे पहले भी भारत ने यंगून को टॉरपीडो भी दी थीं. कोविड से लड़ने में भी भारत पड़ोसी देश म्यांमार की मदद कर रहा है. इसके अलावा उत्तर-पूर्व राज्यों को म्यांमार से जोड़ने के लिए कालडन-प्रोजेक्ट पर भी दोनों देश तेजी से काम कर रहे हैं.
हलांकि भारत और म्यांमार के बीच अभी भी सीमा को लेकर थोड़ा विवाद है जिसके चलते ही अभी तक बॉर्डर का डिमार्केशन नहीं हो पाया है और भारत सीमा की तारबंदी नहीं कर पाया है. इसको लेकर लेकिन दोनों देश अब लगातार बातचीत कर रहे हैं और दोनों देशों की बॉर्डर गार्डिंग फोर्स सीमा पर ही बैठक करती हैं.