SC/ST अधिनियम में होगा ये बड़ा बदलाव, कैबिनेट ने सुनाया फैसला
नई दिल्ली: एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 मामले में संशोधन की मंजूरी कैबिनेट द्वारा दे दी गई है, इस संशोधित बिल को इसी मानसून सत्र में पेश किया जाएगा. कैबिनेट के इस फैसले के बाद अब सुप्रीम कोर्ट को भी अपने फैसले पर पुनर्विचार करना होगा. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दलित एक्ट के तहत एक गाइड लाइन जारी करते हुए, तत्काल गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी/एसटी एक्ट के अनुसार FIR दर्ज होने के बाद भी तत्काल गिरफ़्तारी नहीं की जाएगी, बल्कि पहले डीएसपी स्तर की जांच होगी, उसके बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी. इससे पहले इस एक्ट पर राजनीति भी काफी गरमाई थी. दलित एक्ट के कड़े प्रावधानों को अध्यादेश के जरिये बहाल करने के लिए लोजपा और जेडीयू ने मांग की थी. लोजपा नेता रमवविलास पासवान ने तो 9 अगस्त से पहले एके गोयल को एनजीटी के चेयरमैन पद से हटाने और एससी-एसटी एक्ट पर अध्ययादेश लाने का अल्टीमेटम तक दे दिया था.
आपको बता दें कि जस्टिस एके गोयल उस बेंच में शामिल थे जिसने दलित उत्पीड़न कानून के गैर जमानती प्रावधान को खत्म कर देने के फैसले का समर्थन किया था. लेकिन इसके लिए उन्हें काफी विरोध का सामना करना पड़ा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, कि सरकार ने इस एक्ट को बनाते समय नहीं सोचा कि इसका दुरूपयोग भी हो सकता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश भर में जातिसूचक शब्दों की 11060 शिकायतें दर्ज की गई थी, लेकिन जांच करने पर 935 झूठी पाई गई थी. इससे ये अंदाज़ा साफ हो जाता है कि हमारे देश में कानून का दुरूपयोग किस तरह किया जाता है.