‘कौन बनेगा करोड़पति’ : यूपी के मदरसों में मिलने वाली शिक्षा किसी पब्लिक स्कूल की शिक्षा से कम नहीं होती फरहत नाज
समाजवादी पार्टी सांसद के तौर पर जया बच्चन के संसद में दिए गए बयान पर हो हल्ला मचने के बाद उनके पति अमिताभ बच्चन के शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ का अगला एपीसोड सियासी बवाल खड़े कर सकता है। केबीसी की शूटिंग के दौरान एक ऐसी प्रतिभागी का अमिताभ बच्चन के साथ हाल ही में संवाद शूट हुआ है जो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के संसदीय निवार्चन क्षेत्र से हैं और जो वहां के एक मदरसे में पढ़ाती हैं।
अमिताभ बच्चन का शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ इस बार वैसी टीआरपी हासिल नहीं कर पाया है जैसी कि इससे उम्मीद थी। इसकी वजह एक तरफ तो आईपीएल को बताया जा रहा है, दूसरी वजह इसकी ये भी बताई जा रही है कि शो का कंटेंट इस बार कमजोर है। ये शो इस बार सोनी चैनल की अपनी खुद की कंपनी स्टूडियो नेक्स्ट बना रही है। शो को चर्चा में लाने के लिए कोशिशें तो खूब हो रही हैं, लेकिन इसमें कामयाबी अब तक ज्यादा मिली नहीं है।
शो की शूटिंग के दौरान इस बार एक केबीसी के खेल में एक नया खिलाड़ी जोड़ा गया है। ये खिलाड़ी हैं रायबरेली की 41 वर्षीया फरहत नाज। रायबरेली कभी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का निर्वाचन क्षेत्र रहा है और वर्तमान में यहां से सोनिया गांधी सांसद हैं। फरहत नाज अपने शहर के एक मदरसे में पिछले 12 साल से पढ़ा रही हैं और इस शो की शूटिंग के दौरान उन्होंने मदरसों में मिलने वाली तालीम की जमकर तारीफ की है। उन्होंने यहां तक कहा कि उत्तर प्रदेश के मदरसों में मिलने वाली शिक्षा किसी पब्लिक स्कूल की शिक्षा से कम नहीं होती।
तीन बच्चों की मां फरहत अपनी ससुराल में रहकर बच्चों को पढ़ाने का काम काम करती हैं। उनके पति सऊदी अरब में काम करते हैं। वह बताती हैं कि 18 साल की उम्र में ही शादी हो जाने के चलते वह अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी नहीं कर सकीं। शादी के बाद भी उन्हें अध्यापक की सरकारी नौकरी इसलिए नहीं मिल सकी क्योंकि वह स्नातक नहीं थी। बच्चों को पढ़ाने के साथ साथ वह खुद भी पढ़ रही हैं। अब वह स्नातक की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं और इस समय परास्नातक के अंतिम वर्ष की तैयारी कर रही हैं।
फरहत से जब ये पूछा गया कि केबीसी में जीतने वाली राशि का वह क्या करेंगी, तो उन्होंने कहा कि वह इन पैसों से समाज के निचले तबके के लोगों के लिए एक स्कूल खोलना चाहती हैं। उन्होंने ये भी कहा कि इस स्कूल के दरवाजे सभी जाति, धर्म और संप्रदायों के बच्चों के लिए खुले रहेंगे और ये बच्चे यहां मुफ्त शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।