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बिहार : तेजस्वी यादव का वादा बड़ा उलट फेर कर सकता है चुनावी सर्वेक्षण

गोड़ पड़त बानी, पहले कैबिनेट की मीटिंग में 10 लोगन के नौकरी पर हस्ताक्षर…..तेजस्वी यादव। अब यह वादा बिहार में चल पड़ा है। क्या इस वादे से बिहार के मुख्यमंत्री और सुशासन बाबू नीतीश कुमार का आत्मविश्वास डोल गया है? नीतीश कुमार खुद कहते हैं कि 10 लाख लोगों को नौकरी देने के लिए तेजस्वी इतना पैसा कहां से लाएंगे? लेकिन दिलचस्प है कि उधर नीतीश कुमार तेजस्वी के वादे की हवा निकालने का प्रयास कर रहे हैं और दूसरी तरफ भाजपा ने भी वादों का पिटारा खोल दिया है। बिहार के दो दर्जन जिलों में एक एजेंसी के लिए चुनावी सर्वेक्षण की मॉनिटरिंग कर रहे सूत्र के अनुसार तेजस्वी यादव का यह वादा खेल कर सकता है।

बताते हैं कोविड-19 संक्रमण, बिहार के गांव में देश के महानगरों से लौटकर गए लोगों की संख्या, हाल में आई बाढ़ के बाद की स्थिति ने चुनावी माहौल को अलग रंग दे दिया है। पत्रकार राहुल त्रिपाठी की चुनावों में बड़ी दिलचस्पी रहती हैं। बनारस के राहुल इस समय बिहार में काफी घूम रहे हैं। राहुल बताते हैं बिहार में बेरोजारी का मुद्दा सिर चढ़कर बोल रहा है। गांव-गांव में लोगों को यह लुभा रहा है। नीतीश कुमार की कई जनसभाओं को कवर कर चुके राहुल कहते हैं कि उन्होंने 2010, 2015 के चुनाव में भी नीतीश कुमार को सुना था। इस बार नीतीश कुमार के उत्साह में थोड़ी कमी दिखाई दे रही है।

वहीं दो महीने पहले तक बदहवास सा दिखाई दे रहा राष्ट्रीय जनता दल और उसके नेताओं को मानो कोई संजीवनी मिल गई है। राहुल इसका एक बड़ा श्रेय लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान को भी दे रहे हैं। सीएसडीएस के साथ काम कर चुके एक अन्य सूत्र का कहना है कि चुनावी राजनीति में ऐसा अकसर देखने में आया है। जरा सा संतुलन बिगड़ने पर पूरे चुनाव में इसका असर दिखाई देने लगता है। सूत्र का कहना है कि राष्ट्रीय जनतांत्रित गठबंधन (एनडीए) के साथ इस चुनाव में यही होता दिखाई दे रहा है।

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के घोषणा पत्र में भाजपा का दर्द साफ दिखाई दे रहा है। पार्टी ने अपने 11 बिंदु के घोषणा पत्र में विभिन्न क्रमों में तीन बार से अधिक रोजगार के अवसर सृजित करने का हवाला देकर पांच साल में 19 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा किया है। घोषणा पत्र का लक्ष्य प्रधानमंत्री के नारे के अनुरूप ‘आत्मनिर्भर बिहार’ का रोड मैप 2020-2025 रखा गया है। घोषणा पत्र में वादों का पिटारा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिहार के प्रभारी भूपेंद्र यादव, प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जयसवाल, राज्य के कृषि मंत्री प्रेम कुमार की मौजूदगी में खोला है।

केंद्रीय मंत्री ने पहला वादा बिहार के लोगों को कोविड-19 का टीका मुफ्त लगाने का वादा किया है। खास बात यह है कि सभी वादे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्म निर्भर भारत 2020-25 के मिशन के तहत किए गए हैं।

बिहार के गांव और शहरी क्षेत्र में रहने वाले 30 लाख लोगों को पक्का मकान उपलब्ध कराने, कोविड-19 संक्रमण के दौरान से छठ के महापर्व तक गरीबों को मुफ्त राशन वितरण का भी जिक्र है। गांव, शहर, उद्योग, शिक्षा, कृषि का विकास बिहार को आत्म निर्भर बनाने के पांच मूल मंत्र हैं।

एक साल के भीतर राज्य के सभी विद्यालय, कालेज, विश्वविद्यालय में तीन लाख लोगों की भर्ती, अगली पीढ़ी के आईटी हब के रूप में बिहार को विकसित करके पांच लाख लोगों को रोजगार के अवसर, 10 हजार चिकित्सक, 50 हजार स्वास्थ्य कर्मी समेत 1 लाख लोगों को स्वास्थ विभाग में नौकरी का भाजपा ने वादा किया है।

पार्टी ने 1000 किसान उत्पाद संघों की सहायता से मक्का, फल, सब्जी, जौ, चूड़ा, मखाना, पान, मसाला, शहद, मेंथा और अन्य औषधीय पौधों के क्षेत्र को बढ़ावा देगी। इसके माध्यम से पांच साल में 10 लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

तेजस्वी यादव पिछले कुछ दिनों से पूरी ठसक के साथ खुद को ठेठ बिहारी कहते हैं। इसके बाद जनता से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अंदाज में सवाल पूछते हैं। सवाल पूछने के समय हाथ उठवाना भी नहीं भूलते। उनके इस अंदाज में निशाने पर बिहार के मुख्यमंत्री और पिछले चुनाव में सुशासन बाबू के नाम से मशहूर हुए नीतीश कुमार रहते हैं। तेजस्वी जनता से पूछते हैं कि क्या बिना चढ़ावा चढ़ाए किसी सरकारी दफ्तर में कोई काम होता है? इस सवाल पर जनता की उत्साह बढ़ा देने वाली प्रतिक्रिया पाने के बाद तेजस्वी यादव अस्पतालों में डाक्टर के न होने का भी जिक्र करते हैं।

बिहार के विकास को लेकर राज्य सरकार पर ताना कसते हैं और राज्य में बेरोजगारी को लेकर सरकार की कमजोर नस अपने अंदाज में दबाते हैं। इसके बाद तेजस्वी वादा करते हैं कि नवरात्र चल रहा है। लोग कलश की स्थापना करते समय संकल्प लेते हैं। मैंने (तेजस्वी) भी संकल्प ले लिया है। महागठबंधन की सरकार बनने पर पहली कैबिनेट बैठक में ही 10 लाख लोगों को रोजगार के फैसले पर कलम से पहला दस्तखत करेंगे। तेजस्वी के मुंह से इस लाइन के निकलते ही जनता का उत्साह काफी बढ़ जाता है।

आईबीएम, एचसीएल समेत कई आईटी कंपनी में काम कर चुके राजेश चौधरी बिहार से ही हैं। शिक्षा-दीक्षा रांची, बोकारो, जमशेदपुर में हुई है। राजेश चौधरी आईटी एक्सपर्ट हैं और कहते हैं बिहार दिमागी रूप से देश की सबसे ज्यादा उपजाऊ भूमि है। राज्य देश को अच्छा अफसर, तकनीशियन, डाक्टर, गणितज्ञ, रिक्शा वाला, मजदूर, राजगीर, मिट्टी सब देता है। वहां कोई बड़ा उद्योग नहीं है, लेकिन बिहार के लोग जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक बड़ी संख्या में अपनी सेवाएं देते हैं। राज्य के पास मानवबल द्वारा सर्विस देने की ही पूंजी और कोविड-19 संक्रमण काल में सबसे बुरा असर भी बिहार के इसी क्षेत्र पर पड़ा है।

सभी मजदूर, खेतिहर, रिक्शावाले, मिलों में काम करने वाले घर लौट गए हैं। राजेश चौधरी कहते हैं कि सब संक्रमण का दंश झेल रहे हैं। इसलिए रोजगार इस चुनाव में बड़ा मुद्दा बन रहा है। राजेश चौधरी कहते हैं कि उन्हें बिहार चुनाव में मुकाबला कड़ा होने की उम्मीद दिखाई दे रही है।

राजेश चौधरी को लग रहा है कि अभी बिहार विधानसभा चुनाव 28 अक्टूबर से पहले कई मोड़ लेगा। 23 अक्तूबर को प्रधानमंत्री की नीतीश कुमार के साथ जनसभा है। इसी दिन राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की संयुक्त जनसभा है। लोजपा के चिराग पासवान मैदान में उतर चुके हैं। राजेश चौधरी, राहुल त्रिपाठी और सर्वे एजेंसी के लिए काम करने वाले सूत्रों का मानना है कि इस चुनाव में जद(यू) का बड़ा नुकसान लोजपा के चिराग पासवान कर रहे हैं।

सर्वे एजेंसी के सूत्र की मानें तो चिराग द्वारा अलग चुनाव लड़ने का फैसला लेने के बाद बदल रही परिस्थिति में भाजपा को भी लोजपा से कुछ नुकसान हो सकता है। वहीं लोकजनशक्ति पार्टी खुद भले बड़ी सफलता न पाए और दहाई के नीचे सिमटी रहे, लेकिन सबसे बड़ा फायदा राष्ट्रीय जनता दल और उसके नेता तेजस्वी यादव को पहुंचाती नजर आ रही है। ऐसे में हो सकता है चुनाव बाद सबसे अधिक विधायकों के दल को लेकर भाजपा और राजद में कड़ी टक्कर देखने को मिले।

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