विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनये अच्छाई की बुराई पर विजय का दिवस है विजयदशमी
विजयदशमी हिन्दू द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख त्यौहार चंद्रमास की अश्वयुजा यानी अक्टूबर को आता है हम लोग इसे विजयदशमी कहते है अर्थात अच्छाई की बुराई पर विजय का दिवस बहुत समय पहले एक राक्षस था महिषासुर जिसका मतलब जंगली भैसा होता है बलशाली होने के साथ साथ तीनो लोको पर राज करने की उसकी इच्छा थी उसने ब्रह्मा जी की कठिन तपस्या की और अपनी इच्छा की पूर्ति की कामना करने लगा तथा कठिन परिश्रम और तपस्या के पश्चात ब्रह्म जी प्रकट हुए और उसने भगवान् से एक वरदान मांग लिया
उसने वरदान में यह माँगा की उसे कोई पराजित नहीं कर सकता कोई मुझे मार नहीं सकता और कोई भी स्त्री उसे लड़ाई में जीत नहीं पाएगी वरदान मिलने के पश्चात महिषासुर ने नियंत्रण खो दिया और धरती पर प्रलय मचा दिया अब तो मुझे ब्रह्मा शिव और विष्णु भी नहीं रोक सकते महिषासुर को पराजित करने का एक ही विकल्प था की एक बलशाली शक्तिशाली स्त्री हो जिसका नाम दुर्गा था उन्हें सारे शस्त्र दिए गए और दुर्गा जी को युद्ध करने के लिए भेजा गया विष्णु जी ने अपना सुदर्शन चक्र दिया शिव जी ने त्रिशूल से सम्मानित किया
इतने सारे शस्त्रों के साथ दुर्गा जी को शेर की सवारी मिली और दुर्गा जी निकल पड़ी महिषासुर का वध करने साथ ही यह भी बतादे की महिषासुर अपनी तैयारी में पूरी तहर से सक्षम था उसने दुर्गा जी पर सैकड़ो की सेना के साथ वार किया और स्वयं दुर्गा जी से शेर के रूप आकर युद्ध करने लगा कभी हाथी के रूप में युद्ध किया तो कभी जंगली भैंसे के रूप में युद्ध किया परन्तु दुर्गा जी ने उसकी सेना को चीर चीर कर दिया नौ दिन के युद्ध के बाद दुर्गा जी ने महिषासुर का वध कर दिया सारे ब्रह्माण्ड में इस विजय की सहारना हुई विजय की प्राप्ति दसवे दिन हुई वही दशहरा माईशुर के चामुंडेश्वरी के मंदिर में एक भव्य त्यौहार की तरह मनाया जाने लगा वही श्रीराम ने रावण को पराजित करते हुए मृत्यु की घाट उतार दिया उत्तर भारत राम लीला के माध्य से श्रीराम और रावण के बीच युद्ध दर्शाता है क्या आपको मालूम है की हमारे अंदर भगवान है परन्तु हमारे अंदर एक राक्षस भी है
यदि हम बुराई पर नियंत्रण रखे और अच्छाई की उजागर करे तो आप उसी दिन विजय प्राप्त कर लेते है दशहरा हिन्दुओ का एक प्रमुख त्यौहार है आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को दशहरा के रूप में मनाया जाता है यह भारत का राष्ट्रीय त्यौहार है इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत मानी जाती है क्योंकि भगवान् राम जी ने रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा जी ने नौ रात्रि एवं दस दिनों के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त किया था इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है इसीलिए इस दशमी को विजयदशमी के नाम से जाना जाने लगा आपको बतादे की जो व्यक्ति आदर के साथ व्रत रखता है
वह सभी कामो में सफल होता है वही सुबह के समय कई स्थानों पर रावण को पूजा जाता है और संध्या के समय में इसे जलाया भी जाता है दशहरा पूजन में उसके ऊपर जल , रोली , चावल , मोली , गुड़ , दक्षिणा , फल और जौ के झांवर चढ़ाये जाते है इस दिन नीलकंठ जी के दर्शन करना भी शुभ माना गया है कई स्थानों पर श्रीरामचन्द्र की पूजा के साथ रामायण की भी पूजा की जाती है
दशहरा अथवा विजयदशमी भगवान राम की विजय के रूप में हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व मनाया जाता है दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापो को नष्ट करता है जैसे की – काम , क्रोध , लोभ , मोह , मद, मत्सर अहंकार , आलस्य , हिंसा और चोरी के परित्याग की प्रेरणा प्रदान करता है विजयदशमी पर दो विशेष प्रकार की वनस्पतियों के पूजन का महत्व है एक है शमी वृक्ष और दूसरा है अपराजित प्रत्येक परिस्तिथि में सहायक बनकर विजय प्रदान करने वाला है घरो में समृद्धि के लिए तुलसी की भाँति इसकी नियमित सेवा की जाती है अब आइये जानते है विजयदशमी के दस सूत्र के बारे में। ..
1) दस इन्द्रियों पर विजय का पर्व
2 ) असत्य पर सत्य की विजय का पर्व
3 ) बहिमुर्खता पर अन्तमुर्खता की विजय का पर्व
4 ) अन्याय पर न्याय की विजय का पर्व
5 ) दुराचार पर सदाचार की विजय का पर्व
6 ) तमोगुड पर दैवीगुड़ की विजय का पर्व
7 ) दुष्कर्मो पर सत्कर्मो की विजय का पर्व
8 ) भोग पर योग की विजय का पर्व
9 ) असुरो पर देवो की विजय का पर्व
10 ) जीवत्व पर शिवतत्व की विजय का पर्व
इसी के साथ साथ रावण का अंत हो गया और अच्छाई की बुराई पर विजय हुई। ..