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अमेरिका में हिंसा की आशंका बढ़ाई गई सुरक्षा दुकानों के बाहर हुई बैरिकेटिंग

दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आने शुरू हो गए हैं. अब तक के रुझानों के मुताबिक डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन आगे चल रहे हैं. सीएनएन के मुताबिक बिडेन ने न्यू जर्सी में जीत हासिल की है. हालांकि इस दौरान अमेरिका में हिंसा की आशंका ने वहां के लोगों को थोड़ा बेचैन जरूर कर दिया है.

व्हाइट हाउस और अमेरिका भर में प्रमुख वाणिज्यिक मार्गों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. खुदरा विक्रेताओं ने अपने दुकान को किसी भी संभावित नुकसान से बचाने के लिए सुरक्षा कवर से लैस कर दिया है. महत्वपूर्ण सरकारी प्रतिष्ठान हाई अलर्ट पर हैं जबकि सीक्रेट सर्विस ने व्हाइट हाउस की किलेबंदी कर दी है. मंगलवार को मतदान से पहले एक “गैर-स्केलेबल” दीवार अस्थायी रूप से विशाल राष्ट्रपति परिसर के चारों ओर खड़ी की गई है.

बंदूकों की बिक्री में 80 फीसदी की बढ़ोतरी

देश भर में विरोध प्रदर्शनों का जवाब देने में मदद करने के लिए लगभग 600 नेशनल गार्ड सैनिकों को भी तैनाती की गई है. चुनाव की पूर्व संध्या पर, अधिकारियों को उत्तर में न्यूयॉर्क और बोस्टन से लेकर दक्षिणी ह्यूस्टन तक वाशिंगटन डीसी और पूर्व में शिकागो से लेकर पश्चिम में सैन फ्रांसिस्को तक प्रमुख दुकानों और व्यवसायों को सुरक्षित बनाने में जुटी हुई है बता दें कि वहां हर चुनाव में शूट आउट और हथियारों पर नियंत्रण की बात होती है लेकिन यह महज हवाई दावा ही साबित होता रहा है.

बंदूकों की बिक्री में 80 फीसदी की बढ़ोतरी

न्यूयॉर्क सिटी के मेयर बिल डी ब्लासियो ने सोमवार को कहा कि उन्होंने पुलिस आयुक्त डरमोट शी के साथ बात की है और इस बिंदु पर हिंसा की कोई विशिष्ट रिपोर्ट या खतरे की आशंका नहीं है.डी ब्लासियो ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, ”हर कोई, निश्चित रूप से चुनाव परिणामों के बारे में चिंतित है और इसके बाद लोगों की क्या प्रतिक्रिया होती है ये देखना होगा ,लेकिन मैं जोर देना चाहता हूं,

बंदूकों की बिक्री में 80 फीसदी की बढ़ोतरी

इस समय कोई चुनौती नहीं है. हम हर तरह की चुनौतियों के लिए तैयार हैं. पिछले कुछ हफ्तों में बहुत सारी तैयारी हुई है. भयंकर शूट आउट के काले इतिहास के बाद भी अमेरिका में लोगों के हथियारबंद होने की चाहत घट नहीं रही है. ये सब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए जारी मतदान के बीच हो रहा है. लोगों में हथियार खरीदने की जबरदस्त होड़ मची हुई है.

बंदूकों की बिक्री में 80 फीसदी की बढ़ोतरी

चुनाव के दिन और उसके बाद शहर में हिंसा के बारे में चिंताओं पर एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक दुकान के मालिक को अपना निर्णय लेना होता है और वह प्रत्येक दुकान के मालिक के फैसले का सम्मान करते हैं. बता दें कि अमेरिका के कई राज्यों में बंदूकों की बिक्री 80 फीसदी तक बढ़ गई है. पेंसिल्वेनिया, मिशिगन जैसे स्विंग वोटर्स वाले राज्यों में हथियारों की बिक्री में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है जिससे हिंसा होने की आशंका जताई जा रही है.

बंदूकों की बिक्री में 80 फीसदी की बढ़ोतरी

वहां के एक गन डीलर रॉबर्ट बॉब मैकडॉवल ने बताया कि अगर ओबामा, क्लिंटन और स्कूलों में हुई फायरिंग के समय बंदूकों की बिक्री को मिला दें तो उससे ज्यादा बिक्री आज के समय में हो रही है. बंदूकों की सेल काफी बढ़ गई है.

बंदूकों की बिक्री में 80 फीसदी की बढ़ोतरी

अमेरिका में हथियारों के प्रति वहां के लोगों के लगाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वहां आबादी से ज्यादा बंदूकें हैं. अमेरिका में हर 100 लोगों के पास 120 बंदूकें है जिसने हिंसा की आशंका को जन्म दे दिया है. चुनावी माहौल में अचानक हथियारों की खरीद में वृद्धि होना कई सवाल खड़े कर रहा है. लोगों के मन में ये सवाल घर कर गया है कि आखिर इस माहौल में हथियारों की होड़ क्यों मची हुई है.

Fearing poll related violence White House US businesses take additional  security cover - अमेरिका चुनाव में हिंसा का डर, वॉइट हाउस से लेकर दुकानों  तक में बढ़ाई गई सुरक्षा

सोशल मीडिया पर भी चुनाव नतीजे आने के बाद बड़ी संख्या में हिंसा होने की आशंका वहां जताई जा रही है. इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि पोस्टल बैलेट से चुनाव होने की वजह से परिणाम आने में देरी हो सकती है. ऐसे में दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक प्रतिक्रिया सामने आ सकती है जिनमें हाल ही में खरीदे गए हथियारों का जबरदस्त इस्तेमाल हो सकता है. कुछ लोगों ने आशंका जाहिर की है कि वहां सिविल वॉर जैसी भी स्थिति बन सकती है.

बंदूकों की बिक्री में 80 फीसदी की बढ़ोतरी

एक राजनीतिक कार्यकर्ता ने बताया कि हम पर लगातार हमले हो रहे हैं. हम पिछले साढ़े चार घंटों से डटे हुए हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि वहां इस बार चुनाव नतीजे आने में देरी होगी और इसके लिए आपको कुछ दिन या फिर हफ्ते भर इंतजार करना पड़ सकता है. ऐसा इसलिए होगा क्योंकि वहां पोस्टल बैलेट से वोटिंग की भी व्यवस्था है और हर राज्य में इसके नियम अलग-अलग हैं.

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