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नेता विपक्ष ने इन्वेस्टर मीटिंग को लेकर सरकार पर मारा ताना :-

नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने प्रदेश सरकार की इन्वेस्टर मीट को विफल करार दिया है। मुकेश ने पीएम मोदी द्वारा औद्योगिक पैकेज पर दिए ब्यान को हिमाचल के साथ भेदभाव बताया। मुकेश ने कहा कि सरकार ने इन्वेस्टर मीट को राजनितिक पालने में झूला दिया बाबजूद इसके सरकार केंद्र से न ही कर्ज माफ़ करवा पाई और न ही औद्योगिक पैकेज ले पाई जोकि सरकार की बहुत बड़ी नाकामी है।

पीएम मोदी से कर्जा माफ करवाने में नाकाम जयराम सरकार। - Divya Himachal: No.  1 in Himachal news - News - Hindi news - Himachal news - latest Himachal  news

मुकेश ने कहा कि सरकार इन्वेस्टर मीट के जरिये प्रदेश में भू माफिया का प्रवेश करवाना चाहती है और कांग्रेस ऐसा कभी नहीं होने देगी। हिमाचल प्रदेश में इन्वेस्टर मीट को लेकर सियासी पारा चढ़ना शुरू हो गया है, इन्वेस्टर मीट के पहले दिन को नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने विफल करार दिया है। मुकेश ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी का यह कहना कि अब औद्योगिक पैकेज का दौर चला गया है यह हिमाचल के परिपेक्ष में सही नहीं है। मुकेश ने कहा कि जम्मू कश्मीर और नार्थ ईस्ट में केंद्र सरकार औद्योगिक पैकेज दे रही है और हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य की अनदेखी भाजपा का भेदभाव प्रदर्शित करता है। मुकेश ने कहा कि सरकार ने यह इन्वेस्टर मीट राजनितिक पालने में झूला दी और आरोप विपक्ष पर लगा रही है। मुकेश ने इन्वेस्टर मीट को इवेंट मैनेजमेंट करार देते हुए कहा कि सरकार इवेंट मनेजमेंट करके अपने आप को बड़ा दिखाने की कोशिश कर रही है। मुकेश ने कहा कि यह मीट निवेशकों और प्रदेश सरकार के बीच होनी थी लेकिन इन बातों का उल्लेख आने वाले दिनों में किया जायेगा। मुकेश ने कहा 60 हजार करोड़ का कर्जा सरकार पर है और 10-10 करोड़ के शामियाने लगवाए जा रहे है। मुकेश ने कहा कि कांग्रेस कार्यकाल में भाजपा उधार का घी पीकर शासन करने की बातें करती थी और अब खुद भाजपा बताएं उनकी सरकार क्या पी रही है। मुकेश ने कहा कि सरकार इन्वेस्टर मीट के नाम पर भू माफिया को प्रदेश में प्रवेश करवाना चाहती है। मुकेश ने उद्योग लगाने के लिए पंचायतों और फायर विभाग की एनओसी की शर्त हटाने को लेकर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा। मुकेश ने कहा कि जयराम सरकार पीएम मोदी से न ही कर्जा माफ़ करवा सकी, न ही औद्योगिक पैकेज ले सके, न ही सड़कों का मामला हल करवा सकी और न ही कोई सौगात ले पाए जोकि राजनितिक नेतृत्व की बहुत बड़ी विफलता है।

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