देश की राजधानी दिल्ली में कई इलाकों में जानलेवा हुआ प्रदूषण सांस लेने में हो रही कठिनाई
देश की राजधानी दिल्ली में तमाम उपायों के बावजूद वायु प्रदूषण की स्थिति में सुधार होता नहीं दिख रहा है. सोमवार सुबह कई इलाकों में हवा की गुणवत्ता बेहद ही गंभीर श्रेणी में पहुंच गया.
इससे सांस लेने में कठिनाई के साथ ही आंखों में जलन की समस्या भी सामने आने लगी है. खासकर बुजुर्गों और बच्चों के लिए यह स्थिति बहुत खतरनाक है. आनंद विहार में AQI का लेवल 484, मुंडका में 470, ओखला फेज 2 में 465 और वजीरपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांग 468 पाया गया. इसे सीवियर कैटेगरी माना जाता है और इसकी वजह से कई तरह की बीमारियों के होने का खतरा बना रहत है.
#WATCH Delhi's Akshardham Temple engulfed in heavy smog pic.twitter.com/3pZVexMTYO
— ANI (@ANI) November 9, 2020
वहीं, कल खबर सामने आई थी कि पंजाब और आसपास के क्षेत्रों में पराली को कथित रूप से जलाए जाने के बीच रविवार को राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मोबाइल ऐप ‘समीर’ के मुताबिक, दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक 426 दर्ज किया गया था जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के वायु गुणवत्ता निगरानी संगठन वायु गुणवत्ता प्रणाली एवं मौसम पूर्वानुमान व शोध ने बताया था कि स्थिति में तब तक सुधार होने की संभावना नहीं है जब तक कि पराली जलाने की घटनाओं में भारी कमी नहीं आती है.
Delhi: National capital continues to reel under pollution.
Air Quality Index (AQI) is at 484 in Anand Vihar, 470 in Mundka, 465 Okhla Phase 2 and 468 in Wazirpur, all in 'severe category', as per Central Pollution Control Board (CPCB). pic.twitter.com/XbqPNijpUv
— ANI (@ANI) November 9, 2020
वहीं, सफर ने कहा कि सतही हवाएं शांत हो गई हैं जो अब तक मध्यम थी और अगले दो दिन तक इनके हल्का रहने का अनुमान है. यही प्रमुख कारण है कि तेजी से सुधार होने की संभावना नहीं है और सुधार तभी हो पाएगा जब पराली जलाने की घटनाओं में कमी आए. सफर के मुताबिक, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और आसपास के इलाकों में शनिवार को पराली जलाने की घटनाएं 3780 थी. दिल्ली के पीएम 2.5 में इसकी हिस्सेदारी रविवार को अनुमानित तौर पर करीब 29 प्रतिशत रही. यह अनुमानित तौर पर शनिवार को 32 फीसदी थी.