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सेबी आईपीओ के नियमों में संशोधन करने का कर रही प्लान होगा ये बदलाव

सेबी आईपीओ के नियमों में संशोधन करने का प्लान कर रही है. सेबी अपने IPO के लिए 10 प्रतिशत इक्विटी विलयन में कटौती कर सकती है. आईपीओ में 4 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा पोस्ट इश्यू इक्विटी कैपिटल शामिल है.

सूत्रों के मुताबिक, सेबी बड़े आईपीओ के लिए भी मर्जर को 10 से 5 फीसदी कर सकता है. आईपीओ की पोस्ट इश्यू इक्विटी कैपिटल के 4 हजार करोड़ रुपये से कम होने की स्थिति में मर्जर की आवश्यकता 25 फीसदी होगी.

सूत्रों से मनी कंट्रोल को जानकारी मिली है कि 27 अक्टूबर को सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी और यू.एस. के निवेशकों व उद्योगपतियों के बीच ऑनलाइन बैठक की गई. इस बैठक में मर्जर को 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने पर चर्चा की गई. बता दें कि भारतीय बाजारों में विदेशी पोर्टफोलियों निवेशकों की बड़ी संख्या और एफपीआई के अंतर्गत संपत्ति का लगभग एक तिहाई भाग अमेरिका से मिलता है. मौजूदा स्थिति में इक्विटी सेगमेंट में 1,07,365 करोड़ रुपये का विदेशी पोर्टफोलियो निवेश है, जिसमें से 30 फीसदी अमेरिका के वित्तिय बाजारों से संबधित है.

सूत्रों के मुताबिक, मनीकंट्रोल को बताया कि जल्द ही जीवन बीमा निगम और एचडीबी फाइनेंशियल जैसे बड़े मुद्दे भी चर्चा का विषय बन सकते हैं. एलआईसी में मूल्यांकन 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक है. यदि 10 फीसदी मर्जर पर अमल किया जाता है तो वे 2 लाख करोड़ रुपये जुटाएंगे.

प्राइम डेटाबेस समूह के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने मनीकंट्रोल को बताया कि अगर सेबी 5 प्रतिशत इक्विटी विलयन के मानक को लागू करता है तो यह एक अच्छा कदम होगा. यह मानदंड आईपीओ की संख्या बढ़ाने में मददगार होगा. यह उपाय यूनिकॉर्स को विदेशी बाजारों में जाने से रोकने में मददगार है.

वहीं, दूसरी तरफ, निवेशकों को खुदरा निवेशकों की कम भागीदारी की शिकायत है क्योंकि उन्हें आईपीओ प्लेसमेंट के दौरान शेयर नहीं मिलते हैं. हाल के दिनों में, आईपीओ जैसे डी-मार्ट, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज, आईआरसीटीसी और रत्नाकर बैंक लिमिटेड में खुदरा निवेशकों को उनकी बोली के अनुसार आवंटन नहीं मिला था. इस पर पहले सूत्र ने मनीकंट्रोल को बताया कि सेबी आगामी प्राथमिक बाजार सलाहकार समिति की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा कर सकती है.

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