बिहार में कांटे की टक्कर में किस टीम को मिले कितने वोट और सीटें, जानिए किसकी हुई जीत…
बिहार में एक बार एनडीए की सरकार बनने जा रही है। इस बार मतों की गणना देर रात तक चली। महागठबंधन और एनडीए के बीच कांटे का मुकाबला रहा। चुनावों में राजद सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर सामने आई। उसने 75 सीटें हासिल कीं और दूसरे नंबर पर रही भारतीय जनता पार्टी ने 74 सीटें जीतीं। जदयू ने 43, कांग्रेस ने 19 और अन्य दलों और निर्दलीय के खाते में 31 सीटें गईं। बीजेपी-जदयू के साथ सरकार बनाने में जरूर सफल रही हो, पर इसका वोट शेयर गिरा है, जबकि राजद और कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा है। कोरोना की वजह से इस बार मतगणना केंद्र बढ़ाए गए थे, जिसकी वजह से मतगणना में देर हुई थी।
भाजपा का वोट शेयर कम हुआ, सीटें बढ़ीं
भाजपा ने 2005 के चुनाव में 10.97 फीसद (फरवरी, 2005) वोट पाया था, जिसमें 2015 तक लगातार बढ़त जारी रही। 2015 के चुनावों में भाजपा का वोट शेयर 24.42 फीसद था। लेकिन 2020 के चुनावों में भाजपा का वोट शेयर गिरकर 19.46 प्रतिशत हो गया। पर इस बार भाजपा का वोट शेयर तो गिरा, लेकिन इसकी सीटों की संख्या में इजाफा हुआ, जो कि 2005 में हुए दो चुनावों के साथ ही 2010 और 2015 के चुनावों के उलट है। इन चुनावों में भाजपा का वोट शेयर अधिक था, पर सीटें कम थीं। 2020 में भाजपा ने 74 सीटें जीती हैं।
2015 के चुनाव में सबसे ज्यादा 24.42 प्रतिशत वोट शेयर भाजपा का था, लेकिन सीटें 53 ही जीत सकी थी। 2010 के मुकाबले भाजपा का वोट शेयर 8 फीसदी तक बढ़ा था, लेकिन सीटें घट गई थीं। 2010 में भाजपा ने 16.5 फीसदी वोट शेयर के साथ 91 सीटें जीती थीं।
वहीं, जेडीयू का वोट शेयर इस बार 15.39 फीसद रहा और सीटें 43। 2015 में जेडीयू ने जहां 71 सीटें पाई थीं, वहीं 2010 में उसे 115 सीटें मिली थीं। जेडीयू का वोट शेयर भी 2005 के चुनावों में 14.55 था, जो 2010 में बढ़कर 22.58 हुआ। उसके बाद 2015 और 2020 में इसमें गिरावट आई। 2015 में यह 16.83 फीसद था।
राजद की सीटें कम हुईं, वोट शेयर बढ़ा
राजद की इस बार सीटें जरूर कम हुई हैं, पर इसका वोट शेयर बढ़ा है। राष्ट्रीय जनता दल की इस बार 75 सीट ही आई। बीते चुनाव में उसने 80 सीट हासिल की थी। 2020 में जहां राजद का वोट शेयर 23.11 है, वहीं 2015 में यह 18.35 था। 2010 में जहां 22 सीटें जीती थीं, तो वोट शेयर 18.84 प्रतिशत था।
रोचक बात यह रही है कि जिस पार्टी का वोट शेयर सबसे ज्यादा रहा, वह सरकार बनाने में सफल नहीं हुई। 2020 में ऐसा ही दिख रहा है। सबसे अधिक वोट शेयर के बाद भी राजद सत्ता से दूर है। 2015 के चुनाव परिणाम भी कमोबेश ऐसा ही हुआ था, पर बाद में सबसे ज्यादा वोट शेयर वाली पार्टी गठबंधन के जरिए सरकार बनाने में सफल रही थी। लेकिन चुनाव परिणाम के एलान के वक्त वह विपक्ष में थी।
2015 में बीजेपी ने एलजेपी और आरएलएसपी ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा। सबसे ज्यादा वोट शेयर के बाद भी बीजेपी विपक्ष की भूमिका में थी। जदयू और राष्ट्रीय जनता दल ने सर्वाधिक सीटें हासिल कर सरकार बनाने में सफलता हासिल की। ये बात अलग थी कि दो साल बीतने के साथ ही ये जोड़ी टूट गई और नीतीश ने बीजेपी के समर्थन में सरकार बना ली। कांग्रेस का वोट शेयर बीते चुनाव के मुकाबले 6.6 फीसद से बढ़कर 9.5 फीसद हो गया, पर सीटें घट गईं। बीते चुनाव में कांग्रेस की सीटें 27 थीं, जो इस बार 19 रह गईं। एलजेपी का वोट शेयर बीते चुनावों के मुकाबले 4.8 से बढ़कर 5.6 हो गया।
छोटे दलों को मिलीं सीटें-
बहुजन समाज पार्टी को 1, एआईएमआईएम को 5, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 2, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (एम) को 2, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया(मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (एल) को 12, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा को, लोकजनशक्ति पार्टी को 1, विकासशील इंसान पार्टी को 4 सीटें और निर्दलीय को एक सीट मिली।