हांगकांग सरकार के इस फैसले से भड़का समूचा विपक्ष, आज देंगे अपना इस्तीफा, जानिए पूरा मामला
हांगकांग और चीन के बीच लगातार विरोध की खाई चौड़ी होती जा रही है। अब हांगकांग की सरकार द्वारा यहां के चार लोकतंत्र समर्थकों को अयोग्य करार देने के विरोध में संपूर्ण लोकतंत्र समर्थक विपक्ष ने विधान परिषद से इस्तीफा देने का फैसला किया है। इसकी घोषणा विधान परिषद में मौजूद सभी 15 लोकतंत्र समर्थित विधायकों ने एक प्रेस कांफ्रेंस में किया है। इसकी जानकारी देते हुए वू ची-वाई ने कहा कि केंद्र सरकार ने उनके साथियों की आवाज दबाने के लिए बेहद घटिया चाल चली है। इसके तहत उनके सदस्यों को अयोग्य करार दिया गया है, जिसको किसी भी सूरत से बर्दाश्त नहीं किया जा सकमा है।
उन्होंने ये भी कहा कि लोकतंत्र समर्थकों के सामने आने वाले दिनों में कई परेशानियां और खड़ी की जा सकती हैं। इसके बावजूद वो अपनी मांग से कभी पीछे नहीं हटेंगे और अपनी आवाज यूं ही उठाते रहेंगे। वू के मुताबिक लोकतंत्र के समर्थक सभी विधायक आज अपना इस्तीफा दे देंगे। वू के अलावा एक अन्य सांसद क्लाउडिया मो ने कहा कि इस सभी के पीछे चीन की कम्यूनिस्ट सरकार है जो हांगकांग की आवाज को दबाना चाहती है। इसके लिए वो वर्षों से काम कर रही है। उन्होंने ये भी कहा कि चीन सरकार हांगकांग में लोकतंत्र का गला घोटने की कोशिश कर रही है। अयोग्य ठहराए गए विधायकों पर आरोप है कि उन्होंने हांगकांग को बाधित करने के लिए विदेशों से सहायता मांगी है। आपको बता दें कि हांगकांग की विधान परिषद में कुल 70 सीटें हैं।
इन विधायकों के एक साथ इस्तीफा देने के बाद विधान परिषद में केवल चीन-समर्थक विधायक ही बचे रह जाएंगे। विधान परिषद में पहले ही इनको बहुमत हासिल है। इसके बाद भी उन्हें किसी भी तरह के कानून को पास करने में दिक्कत आएगी। इसकी वजह है कि विधान परिषद में कोई भी चीन समर्थित कानून बिना बहस के पास नहीं करवाया जा सकता है। इसके लिए विपक्ष की मौजूदगी जरूरी है।
अयोग्य करार दिए गए एक विधायक क्वोक का-की ने हांगकांग सरकार के फैसले को उनके अधिकारों का उल्लंघन बताया है। की का कहना है कि हांगकांग सरकार का फैसला हांगकांग के मिनी संविधान जिसको बेसिक लॉ कहा जाता है, का उल्लंघन करता है। उनके इस बयान के बाद हांगकांग की प्रशासक और चीन समर्थित कैरी लाम ने पत्रकारों से कहा कि अयोग्य विधायकों को तरीके से पेश आना चाहिए। हांगकांग को ऐसे विधायकों की जरूरत है जो देश भक्त हों।
लोकतंत्र समर्थकों द्वारा लिए गए इस फैसले से करीब दो दिन पहले ही नेशनल पीपुल्स कांग्रेस स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में फैसला लिया गया था कि यदि किसी ने भी हांगकांग की आजादी की मांग की और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाला तो उसको तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया जाएगा। इस बैठक में ये भी साफ कर दिया गया कि जो कोई हांगकांग में चीन के शासन का विरोध करेगा या हांगकांग के सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने की कोशिश करेगा, उसको भी बर्खास्त कर दिया जाएगा।
आपको बता दें कि चीन की कम्यूनिस्ट सरकार लगातार हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों की आवाज को दबाने के लिए हर संभव तरीके अपना रही है। इसी वर्ष जून में चीन ने हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया था, जिसको लेकर काफी विरोध हुआ था। दूसरे देशों ने भी इसको चीन की तानाशाही करार दिया था। इससे पहले पिछले वर्ष एक विधेयक को लेकर महीनों तक हांगकांग में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था। कोविड-19 की वजह से लगे लॉकडाउन के बाद इसमें कमी देखने को मिली थी। इसके बाद भी हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों की सीने की आग लगातार धधक रही है।
इस फैसले के विरोध में कई देशों ने हांगकांग से अपनी प्रत्यर्पण संधियां तक खत्म कर ली हैं। अमेरिका ने तो हांगकांग की प्रशासक कैरी लैम और उनकी सरकार के कुछ लोगों पर अमेरिका में एंट्री पर भी बैन लगा दिया है। हालांकि चीन ने अमेरिका के इस फैसले पर सख्त नाराजगी जताई थी और बदले में इसी तरह की कार्रवाई की थी। चीन की तरफ से कहा गया था कि हांगकांग उसका हिस्सा है लिहाजा इसके किसी भी मामले में किसी भी अन्य देश को बोलने का कोई हक नहीं है। ऐसा करना चीन के निजी मामलों में हस्तक्षेप करना होगा।